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1.
प्रेरणार्थक प्रत्यय प्राकृत भाषा में प्रेरणा अर्थ में 'अ', 'ए', 'आव' और 'आवे' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़े जाते हैं। प्रेरणार्थक प्रत्यय जोड़ने के पश्चात अकर्मक क्रियाएँ सकर्मक हो जाती हैं। इसलिए इन क्रियाओं में कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य का ही प्रयोग होता है। जैसेअकर्मक क्रियाएँ
प्रेरणार्थक प्रत्यय हस = हँसना
अ, ए, आव, आवे (हस+अ) = हास (हँसाना) ('अ' प्रत्यय जुड़ने पर उपान्त्य 'अ' का 'आ' हो जाता है) (हस+ए) = हासे (हँसाना) ('ए' प्रत्यय जुड़ने पर उपान्त्य' 'अ' का 'आ' हो जाता है) (हस+आव) = हसाव (हँसाना) (हस+आवे) = हसावे (हँसाना)
1.
जीव = जीना
अ, ए, आव, आवे (जीव+अ) = जीव (जीवाना या जिलाना) ('अ' प्रत्यय जुड़ने पर अगर उपान्त्य' स्वर दीर्घ हो तो उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है) (जीव+ए) = जीवे (जीवाना या जिलाना) ('ए' प्रत्यय जुड़ने पर अगर उपान्त्य' स्वर दीर्घ हो तो उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है) (जीव+आव) = जीवाव (जीवाना या जिलाना) (जीव+आवे) = जीवावे (जीवाना या जिलाना)
1.
उपान्त्य अर्थात् क्रिया के अन्त का पूर्ववर्ती स्वर।
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
(53).
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