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(बहुअ+उल्ल) = बहुउल्ल (वि.) (बहुत) .. बहूल्लो (प्रथमा विभक्ति, एकवचन)
------------ प्राकृत भाषा में अ, इल्ल, उल्ल स्वार्थिक प्रत्ययों को स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में जोड़ा जाता है। इन स्वार्थिक प्रत्ययों के लगने से स्त्रीलिंग शब्द अकारान्त हो जाता है तो उन्हें स्त्रीलिंग बनाने के लिए 'आ' अथवा 'ई' प्रत्यय जोड़ लेने चाहिए। जैसे(माया+अ) = मायाअ--मायाआ अथवा मायाई (माता) .. (माया+इल्ल) = मायाइल्ल-मायाइल्ला अथवा मायाइल्ली (माता) (माया+उल्ल) = मायाउल्ल-मायाउल्ला. अथवा मायाउल्ली (माता)
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प्राकृत भाषा में अ, इल्ल, उल्ल स्वार्थिक प्रत्ययों के अतिरिक्त कुछ स्वार्थिक प्रत्यय और भी हैं जो शब्द विशेष में विकल्प से जोड़े जाते हैं। जैसे'आलिअ' प्रत्यय (मीस+आलिअ) = मीसालिअ (वि.) (संयुक्त अथवा मिला हुआ) 'र' प्रत्यय (दीह+र) = दीहर (वि.) (लम्बा) 'ल' प्रत्यय (विज्जु+ल) = विज्जुल (स्त्री.) (बिजली) (पत्त+ल) = पत्तल (नपुं.) (पत्ता) (पीअ+ल) = पीअल (पु.) (पीला रंग) (अन्ध+ल) = अन्धल (वि.) (अन्धा) 'ल्ल' प्रत्यय (नव+ल्ल) = नवल्ल (वि.) (नया) (एक+ल्ल) = एकल्ल (वि.) (अकेला)
(iv)
ल्ल श्रा
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
(52)
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