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(हस+स्स+न्ति, न्ते, इरे) = हसिस्सन्ति, हसेस्सन्ति, हसिस्सन्ते, हसेस्सन्ते, हसिस्सइरे, हसेस्सइरे =
___ (वे दोनों/वे सब) हँसेंगे/हँसेंगी। (भवि.अ.पु.बहु.)
(च) अर्धमागधी प्राकृत में आकारान्त व ओकारान्त आदि क्रियाओं में
भविष्यत्काल के अन्य पुरुष बहुवचन में 'स्स' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के अन्य पुरुष बहुवचन के 'न्ति, न्ते और इरे' प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं। जैसे(ठा+स्स+न्ति, न्ते, इरे) = ठास्सन्ति-ठस्सन्ति, ठास्सन्ते-ठस्सन्ते, ठास्सइरे--ठस्सइरे = (वे दोनों/वे सब) ठहरेंगे/ठहरेंगी। (भवि.अ.पु.बहु.) (हो+स्स+न्ति, न्ते, इरे) = होस्सन्ति, होस्सन्ते, होस्सइरे =
(वे दोनों/वे सब) होंगे/होंगी। (भवि.अ.पु.बहु.) (प्राकृत के नियमानुसार संयुक्ताक्षर के पहिले यदि दीर्घ स्वर हो तो वह ह्रस्व हो जाता है)।
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कुछ क्रियाओं की भविष्यत्काल में विभिन्न प्रकार से अभिव्यक्ति
20.
उत्तम पुरुष एकवचन 1/1 प्राकृत भाषा में आकारान्त 'का और दा' क्रिया में भविष्यत्काल के उत्तम पुरुष एकवचन में विकल्प से 'हे' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे- . (का+ह) = काहं = (मैं) करूंगा/करूँगी। (भवि.उ.पु.एक.) (दा+ह) = दाहं = (मैं) दूंगा/दूंगी। (भवि.उ.पु.एक.) अन्य रूप - काहिमि, दाहिमि
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
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