________________
(ख) प्राकृत भाषा में आकारान्त व ओकारान्त आदि क्रियाओं में भविष्यत्काल
के अन्य पुरुष एकवचन में 'हि' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के अन्य पुरुष एकवचन का 'ई' प्रत्यय भी जोड़ दिया जाता है। (ठा+हि+इ) = ठाहिइ = (वह) ठहरेगा/ठहरेगी। (भवि.अ.पु.एक.) (हो+हि+इ) = होहिइ = (वह) होवेगा/होवेगी। (भवि.अ.पु.एक.)
(ग) शौरसेनी प्राकृत में अकारान्त क्रियाओं में भविष्यत्काल के अन्य पुरुष
एकवचन में 'स्सि' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के अन्य पुरुष एकवचन के 'दि और दें' प्रत्यय भी जोड़ दिये जाते हैं और क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है। जैसे(हस+स्सि+दि, दे) = हसिस्सिदि, हसिस्सिदे =(वह) हँसेगा/हँसेगी।
__ (भवि.अ.पु.एक.)
(घ) शौरसेनी प्राकृत में आकारान्त व ओकारान्त आदि क्रियाओं में भविष्यत्काल
के अन्य पुरुष एकवचन में 'स्सि' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के अन्य पुरुष एकवचन का 'दि' प्रत्यय भी जोड़ दिया जाता है। जैसे(ठा+स्सि+दि) = ठास्सिदि--ठस्सिदि= (वह) ठहरेगा/ठहरेगी। (भवि.अ.पु.एक.) (हो+स्सि+दि) = होस्सिदि = (वह) होवेगा/होवेगी। (भवि.अ.पु.एक.)
(ङ) अर्धमागधी प्राकृत में अकारान्त क्रियाओं में भविष्यत्काल के अन्य पुरुष
एकवचन में 'स्स' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के अन्य पुरुष एकवचन के 'इ और ए' प्रत्यय भी जोड़ दिये जाते हैं और क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' और 'ए' हो जाता है। जैसे
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
(20)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org