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________________ (हो+सी, ही, हीअ) = होसी, होही, होहीअ = (हम दोनों/हम सब) हुए/हुईं। (भू.उ.पु.बहु.) मध्यम पुरुष एकवचन 2/1 (ठा+सी, ही, हीअ) =ठासी, ठाही, ठाहीअ =(तुम)ठहरे/ठहरी। (भू.म.पु.एक.) (हो+सी, ही, हीअ)= होसी, होही, होहीअ = (तुम) हुए/हुई। (भू.म.पु.एक.) मध्यम पुरुष बहुवचन 2/2 (ठा+सी, ही, हीअ) = ठासी, ठाही, ठाहीअ = (तुम दोनों/तुम सब) ठहरे/ठहरी। (भू.म.पु.बहु.) (हो+सी, ही, हीअ)= होसी, होही, होहीअ = (तुम दोनों/तुम सब) हुए/ हुईं। (भू.म.पु.बहु.) अन्य पुरुष एकवचन 3/1 (ठा+सी, ही, हीअ)=ठासी,ठाही, ठाहीअ=(वह) ठहरा/ठहरी। (भू.अ.पु.एक.) (हो+सी, ही, हीअ)=होसी, होही, होहीअ=(वह) हुआ/हुई।(भू.अ.पु.एक) __ अन्य पुरुष बहुवचन 3/2 (ठा+सी, ही, हीअ) = ठासी, ठाही, ठाहीअ = (वे दोनों/वे सब) ठहरे/ ठहरीं। (भू.अ.पु.बहु.) (हो+सी, ही, हीअ)= होसी, होही, होहीअ = (वे दोनों/वे सब) हुए/ हुईं। (भू.अ.पु.बहु.) (ख) अर्धमागधी प्राकृत में आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं में भूतकाल के उत्तम पुरुष एकवचन व बहुवचन, मध्यम पुरुष एकवचन व बहुवचन, ___अन्य पुरुष एकवचन व बहुवचन में 'इत्था' और 'इंसु' प्रत्यय क्रियाओं में लगते हैं। जैसे उत्तम पुरुष एकवचन 1/1 ... (ठा+इत्था, इंसु) = ठाइत्था, ठाइंसु = (मैं) ठहरा/ठहरी। (भू.उ.पु.एक.) .. (हो+इत्था, इंसु) = होइत्था, होइंसु = (मैं) हुआ/हुई। (भू.उ.पु.एक.) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2) (9) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004205
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2013
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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