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भागों में हिन्दी-व्याकरण के नियमों की सोदाहरण चर्चा कर तथा प्राकृत हिन्दी के विकसित शब्द-रूपों तथा धातु-रूपों की तुलनात्मक भाषा-वैज्ञानिक विवेचना भी की जायेगी ऐसा विश्वास है।
इस क्षेत्र में यह अवधारणा तथा उसे साकार करने का सम्भवतः यह सर्वप्रथम प्रयास है, जो सराहनीय है।
Prof. Dr. Raja Ram Jain Ex. University Prof & Head of Sanskrit and Prakrit (Under Magadh University Services)
Hon. Director - D. K. J. Oriental Research Institute. Arrah (Bihar)
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