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________________ वर्तमान राज व्यवस्था गलत है आर्य प्रजा को बचाने के लिओ प्राचीन व्यवस्था पुनर्जिवित करें भारतीय प्रजा का जीवन, संस्कृति और धर्म भारी खतरे में है। .. श्वेत प्रजा के गुप्त आक्रमण से रंगीन प्रजाका सर्वनाश हो रहा है। अंतरराष्ट्रिय राजकारणने रंगीन प्रना को बरबाद करने के लिए षडयंत्र बना दीया है। श्वेत प्रजा के प्रतिनिधि आर्य संस्कृति एवम् आर्यप्रजा के विनाश के लिए अनेक वर्षों से कटिबद्ध हो , रहे है । अपनी उस योजना के अनुसार वे जब भारत पर शासन चलाते थे तब भी जो न करः शके वही अन्द कर रहे हैं । स्थानिक स्वराज्य देकर भारत के साथ बनावट की हैं, क्योंकि हमारी पुरानी. राज्य व्यवस्था नष्ट कर दी गई हैं। और अपने शासन कालिन राज्य पद्धति और शिक्षा पद्धति को द्रढ करके, उसके द्वारा देशी अंग्रेजो को पेदा कर दिया हैं । श्वेत प्रजा के उन मुरादियों का प्रतिकार केवल वही भारतीय कर सकता है जो दुरदर्शी देशप्रेमी हो । उसको आर्य संस्कृति एवम् आर्यप्रजा को विनाश की आंधी में से बचाने का प्रचंड पुरुषार्थ करना होगा । तब ही उनकी उक्त योजना नष्ट होगी । किन्तु उस कार्य के लिए भारत को फसानेवाली आभासी आझायो प्राप्त करने में जितना कष्ट उठाना पड़ा उससे कहीं अधिक कष्ट उठाना पड़ेगा । हमारे महान भारत की संस्कृति एवम् प्रजा के संस्कारो को समाप्त करने के लिए श्वेत प्रजाने क्या क्या नहीं किया। १. राज्य व्यवस्था एवम् राज्य पद्धति में परिवर्तन किया जो भारत की प्रणालि और संस्कृति के खिलाफ हैं। २. राज्य पर से निःस्वार्थ संत पुरुषो का वर्चस्व नष्ट कर दिया और बहुमत वाद की विचारधारा में फसा दिया । ३. आर्य प्रजा के हितचिंतक माजनों को बलहीन करके उनको नामशेष किया । ४. संग्रेज मुत्सदी भेकोले ने ऐसी शिक्षण प्रणालि प्रस्थापित की जिसको आज तक कोई बदल नहीं शका | उसने जो आगाही, की थी वह सत्य सिद्ध हुई हैं, उसकी शिक्षा पद्धति के कारण भारत के लोग अपनी संस्कृति, : धर्म एवम् अपनी उत्तम समाज व्यवस्था से आप ही आप विमुक्त हो गए है । देश में आज अनेक देशी अंग्रेज पेदा हो रहे है, जो कि श्वेत प्रजा के मुत्सदीयों के हाथ के खिलौने बन गए हैं। उन्होंने भारत के सुखी ग्रामजनों की ताकत नष्ट करने के लिए खेती को मध्यति भी बदल दी है । और .. खेती के आधार रुप पशुधन को बलहीन बनाने के लिए चरागाहों को धीरे धीरे कम कर दिया हैं । पशुओं को निर्बल बनाकर उनकी कल के योग्य ठहराया । हमारे देश में उपयोगी और बिनउपयोगी पशुधन जैसा कोई ख्यालं पहेले नहीं था । अंग्रेजोने आ कर इन शब्दों के प्रयोग द्वारा भारतीय पशुधन को नष्ट करने की योजना सफलता पुर्वक बनाई : किन्तु भारतीय प्रजा तो मानती हैं कि पशुओं के विनाश का तात्पर्य है, "उनका अपना विनाश"। ६. भारतीय प्रजा को निर्बल बनाने के अनेक प्रयल श्वेत मुत्सदीयोंने सफलता पुर्वक कियें है। ७. गो-वंश आधारित अहिंसक अर्थतंत्र के स्थान पर शोषणयुक्त पाश्चात्य हिंसात्मक अर्थतंत्र अपनाया । इसु के १८५७ साल तक भारत का अर्थतंत्र पुर्णतः गो-वंश पर आधारित था । इसके द्वारा खेती के लिए आवश्यक गोवर खातर पर्याप्त मात्रा में विना किसी खर्च के प्राप्त होता था । अतः 'खेत पेदांश बिना खर्च को प्राप्त होती थी । किसान स्वावलंबी था । लोगों को अनाज, घी, दूध, आदी सहज में ही मिलता था। पाश्चात्य हिंसात्मक अर्थतंत्र पध्धति से देश को गरीव बना दिया है । उन्होंने भारत के करोडों मानव एवम् पशुओं को जीते जी अस्थिपंजर बना रखा है। ८. श्वेत प्रजा ने भारत में क्रिश्चियन मिशनरीओ को दुनीयादे इस प्रकार डाली हैं जिससे अबतक भी धर्म परीवर्तन प्रवृत्ति चालु रही हैं । वे हिन्दुओं को. किश्चयन बना रहे हैं, अतः क्रिश्चयनों की. आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। .. ये विदेशी लोग अंतरराष्ट्रीय संस्थाओ के द्वारा विकास के नाम पर सहायता प्रदान करके आर्य संस्कृति को खत्म कर रहे हैं, और सामाजिक व्यवस्था को छिन्नभिन्न कर रहे हैं। (38) ' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004203
Book TitleMananiya Lekho ka Sankalan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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