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हिंसक जीवों का प्रयोजन
रहन - सहनादि में वृक्षों, लताओं, पुष्पों, फलों और बीजों को काम में लिया जाता है। मकान बनाने आदि सहस्त्रों काम में लकड़ी, पटिये आदि लिए जाते हैं। मनुष्य अपने जीवन-निर्वाह, आजीविका, मौजशौक, भोगविलास आदि में वनस्पतिकाय का आरम्भ करता है। विवेकी गृहस्थ अकारण आरम्भ नहीं करते, परन्तु अविवेकी लोग व्यर्थ का आरम्भ करते हैं ।
हिंसक जीवों का प्रयोजन
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सत्ते सत्तपरिवज्जिया उवहणंति दढमूढा दारुणमई कोहा माणा माया लोहा हस्स रई अरई सोय वेयत्थी जीय-धम्मत्थकामहेडं सवसा अवसा अट्ठा अणट्ठाए य तसपाणे थावरे य हिंसंति मंदबुद्धी । सवसा हणंति, अवसा हणंति, सवसा अवसा दुहओ हणंति, अट्ठा. हणंति, अणट्ठा हणंति, अट्ठा अणट्ठा दुहओ हणंति, हस्सा हणंति, वेरा हणंति, रईय हणंति, हस्सा-वेरा-रईय हणंति, कुद्धा हणंति, लुद्धा हणंति, मुद्धा हणंति, कुद्धा लुद्धा मुद्धा हणंति, अत्था हणंति, धम्मा हणंति, कामा हणंति, अत्था धम्मा कामा हणंति ॥ ३ ॥
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शब्दार्थ - दढमूढा - वे महा मूढ़, दारुणमई - कठोर मति वाले क्रूर जीव, सत्तपरिवज्जिया - सत्व रहित, सत्ते उन सत्वों - जीवों को, उवहणंति- मारते हैं, मंदबुद्धी - वे बुद्धिहीन अज्ञानी जीव, कोहा - क्रोध, माणा मान, माया माया, य और, लोहा - लोभ से, हस्स हास्य, रई अरईरति - अरति, सोय - शोक से, वेयत्थी - वेदार्थी वैदिक अनुष्ठान के लिए, जीयधम्मत्थकामहेउं "जीवन, काम, धन और धर्म के लिए, सवसा - अपनी इच्छा से स्वतंत्रता से, अवसा विवश होकर, अट्ठा - प्रयोजन से, अणट्ठा बिना प्रयोजन से, तसपाणे- त्रस प्राणियों, य और थावरे - स्थावर प्राणियों की, हिंसंति- हिंसा करते हैं, सवसा हणंति अपनी अच्छा से प्राणियों की घात करते हैं, अवसा हणंति - विवश होकर घात करते हैं, सवसा अवसा दुहो हणंति - स्वाधीन और पराधीन-दोनों प्रकार से जीवों की घात करते हैं, अट्ठा हणंति प्रयोजन से जीव घात करते हैं, अणट्ठा हणंति - बिना प्रयोजन हिंसा करते हैं, अट्ठा अणट्ठा दुहओ हणंति सकारण और अकारण दोनों प्रकार से हिंसा करते हैं, हस्सा हणंति - हास्य वश जीव-घात करते हैं, वेराहणंति - वैरभाव से हनते हैं, कुद्धा हणंतिक्रुद्ध होकर हिंसा करते हैं, लुद्धा हणंति - लुब्ध होकर हिंसा करते हैं, मुद्धा हणंति मुग्ध होकर हिंसा करते हैं, कुद्धा लुद्धा मुद्धा हणंति - क्रुद्ध, लुब्ध और मुग्ध होकर मारते हैं, अत्था हणंति - अर्थ-धन के लिए मारते हैं, धम्मा हणंति - धर्म के लिये जीव घात करते हैं, कामा हणंति कामभोग के लिए हिंसा करते हैं, अत्था धम्मा कामा हणंति- अर्थ, धर्म और काम के लिए जीवघात करते हैं ।
विवेचन - त्रस और स्थावर जीवों की हिंसा करने वालों का अभिप्राय बतलाते हुए आगमकार
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