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________________ १२ प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु० अ० १ ****** ### ## ###### ##### ##* शीत-प्रधान देशों में मनुष्यों के वस्त्र के समान पहनने के काम में भी आता है। ढाल, तलवार आदि का म्यान आदि में तो पहले भी आता था। कई ऋषि-संन्यासी मृगचर्म एवं व्याघ्रचर्म बिछाने के काम में लेते हैं। पहले जिन. कारणो से हिंसा होती थी, उनमें वर्तमान युग में वृद्धि हुई है। बटुआ, घड़ी के पट्टे, कमरपट्टे (पेंट-बेल्ट) बॉक्स, बेग-बिस्तर--बंद, थैले, चश्मे के घर, खिलौने आदि अनेक कार्यों में चमड़ा काम में आता है और इसके लिए पंचेन्द्रिय जीवों की हिंसा होती है। अत्यन्त मुलायम चमड़े केलिए छोटे बच्चों तथा गर्भस्थ जीवों की भी हिंसा होती है। इस प्रकार की हिंसा में सुकुमालता, सुखशीलियापन, बाहरी सज-धज-आडम्बर एवं दूसरों का अन्धानुकरण मुख्य है। अहिंसकसंस्कृति के बहुत-से सदस्य भी हिंसा के द्वारा प्राप्त चमड़े को काम में लेने से नहीं बचे। चर्बी के लिए - चर्बी को लोग.खाने, चमड़े को मुलायम रखने के लिए लगाने, मशीनरी में चिकनाई देने, शरीर पर मालिश करने, मरहम बनाने आदि कई कामों में लेते हैं। मांस - खाने, पशुओं को खिलाने और दवाई बनाने आदि कामों में लिया जाता है। इसी प्रकार रक्त, यकृत (जिगर) फेफड़ा आदि भी खाने और दवाई बनाने के काम में लेते हैं। दाँत - हड़ी, नख, सींग आदि सजाई के उपकरणों को सुन्दर बनाने में लिए जाते हैं। विष - दवाई, नशा और किसी को मारने के काम आता है। हाथी के दाँत से चूड़ियाँ बनती हैं और अनेक प्रकार के उपकरणों को सुन्दर बनाने के काम में लिए जाते हैं। बालों की टोपियां बनाने के काम में लेते हैं और जूते तथा कपड़े में भी लगाते हैं। खासकर मुलायम गरम कपड़े-शाल आदि बनाने के लिए जीवों की हत्या की जाती है। खरगोश आदि के चमड़े सहित बालों की टोपियाँ बनती हैं। सुन्दर पक्षियों के बालों-पंखों के तुर्रे, कलंगी आदि बनते हैं। मयूर के बालों से मोरपींछी बनती है, जिसे देवी-देवताों की मूर्तियों के प्रमार्जन आदि के लिए काम में लेते हैं। सूअर के बाल ब्रुश आदि के काम में आते हैं। पूंछों में खासकर चमरी गाय की पूंछ, चंवर और गजगाव के काम में आते हैं। घर की सजाई के लिए हिरण, सिंह आदि के सिर और सींग प्राप्त करने के लिए हिंसा होती है। रेशमी वस्त्रों के लिए रेशम के लाखों कीड़ों का प्रतिदिन संहार होता है। . मधु - शहद के लिए भ्रमरों और मधुमक्खियों के छत्तों का विनाश किया जाता है। मधु, खाने और औषधी के काम में आता है। ___ मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए कीड़े-मकोड़े, डाँस, मच्छर, खटमल, पिस्सू, चूहे, घुन, यूका, टिड्डी, छिपकली, अंडे आदि अनेक प्रकार के जीवों की हिंसा करता है। इन छोटे-छोटे बेइन्द्रियादि जीवों को मारने के लिए फिनाइल, डी. डी. टी. आदि का उपयोग करता है। जलाशयों में शुद्धि के लिए दवाई डालकर असंख्य जीवों की हिंसा करता रहता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004201
Book TitlePrashna Vyakarana Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages354
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size8 MB
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