________________ परिग्रह नामक पाँचवाँ अधर्मद्वार परिग्रह का स्वरूप जंबू! इत्तो परिग्गहो पंचमो उ णियमा णाणामणि-कणग-रयण-महरिहपरिमलसपुत्त-दार-परिजण-दासी-दास-भयग-पेस-हय-गय-गो-महिस-उट्ट-खरअय-गवेलग-सीया-सगड-रह-जाण-जुग्ग-संदण-सयणासण-वाहण-कुवियधणधण्णा-पाण-भोयणाच्छायणा-गंध-मल्ल-भायण-भवणविहिं चेव बहुविहीयं भरहं णग-णगर-णियम-जणवय-पुरवर-दोण-मुह-खेड-कब्बड-मडंब-संबाह-पट्टणसहस्स-परिमंडियं थिमियमेइणीयं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं अपरिमिय मणंततहमणुगय-महिच्छ-सारणिरयमूलो लोहकलिकसायमहक्खंधो चिंतासयणिचियविउलसालो गारवपविरल्लियग्गविडवो णियडितयापत्तपल्लवधरो पुप्फफलं जस्स कामभोगा' आयासविसूरणा कलह-पकंपियग्गसिहरो णरवईसंपूइओ बहुजणस्स हिययदइओ इमस्स मोक्खवरमोत्तिमगस्स फलिहभूओ, चरिमं अहम्मदारं। शब्दार्थ - इत्तो - इसके पश्चात्, परिग्गहो - परिग्रह है, पंचमो - पाँचवाँ, णियमा - निश्चित रूप से, णाणामणि - विविध प्रकार के मणि, कणग - सोना, रयण - रत्न, महरिह परिमल - बहुमूल्य सुगन्धित द्रव्य, सपुत्तदार परिजण - पुत्र और स्त्री सहित परिवार, दासीदास - दासी तथा दास, भयगघर का काम करने वाले नौकर, पेस - बाहर भेजे जाने वाले नौकर, हय - घोड़ा, गय - हाथी, गो - गाय, महिस - भैंस, उट्ट - ऊंट, खर - गधा, अय - बकरा, गवेलग - भेड़ अथवा गाय और भेड़, सीया - पालकी, सगड - गाड़ी, रह - रथ, जाण - यान गाड़ी विशेष, जुग्ग - युग्य-जम्पान नामक गाड़ी, संदण - स्यन्दन-रथ विशेष, सयणासण - शयन, आसन, वाहण - वाहन, कुविय - घर की सामग्री, धण - धन, धण्ण - धान्य, पाण - पानी, भोयण - भोजन, आच्छायण - आच्छादन, गंध - सुगन्ध, मल्ल - माला, भायण - भाजन, भवणविहि - भवन की विधि, चेव - और, बहुविहियं - अन्य बहुतसे साधनों से, भरहं - भरत क्षेत्र, णग - पर्वत, णगर - नगर, णियम - निगम, जणवय - जनपद, पुरवर - उत्तम पुर, दोणमुह - द्रोणमुख, खेड - खेट, कब्बड - कर्बट-थोड़ी आबादी वाला गाँव, मडंब - मंडप, संवाह - संबाध, पट्टण - पाटण, सहस्स - हजारों, परिमंडियं - पत्तनों से सुशोभित, थिमियमेइणीयं - निष्कंटक-सुरक्षित, एगच्छत्तं - एक छत्र, ससागरं - समुद्र पर्यंत, भुंजिऊण- भोग Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org