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द्वीप या दीपक, दर्पण, अट्ठावय
कमल, घंटा
घंटा, वरपोय श्रेष्ठ जलयान,
द्वार, मणिरयण - मणि रत्न, णंदियावत्त- नन्दिकावर्त्त नौ कोने वाला स्वस्तिक, मुसल मूसल, जंगल - हल, सुरइवरकप्परुक्खे - उत्तम प्रकार से श्रेष्ठता पूर्वक निर्मित-सुखदायक कल्पवृक्ष, मिगवइ - मृगपति - सिंह, भद्दासण- भद्रासन, सुरुविथूभ - सुन्दराकार स्तम्भ, वरमउड श्रेष्ठ मुकुट, सरिय - मुक्ताहार, कुंडल कुण्डल, कुंजर हाथी, वरवसह उत्तम बैल, दीव मंदर - मेरु पर्वत, गरुल - गरुड़, ज्झय ध्वजा, इंदकेउ - इन्द्रध्वजा, दप्पण - अष्टापद, चाव- चाप-धनुष, बाण- बाण, णक्खत्त नक्षत्र, मेह- मेघ, मेहल वीणा - वीणा - वादिन्त्र विशेष, जुग जुआ, छत्त छत्र, दाम माला, दामिणि पर लटकती हुई माला, कमंडलु - कमण्डल, कमल सूई सुई, सागर समुद्र, कुमुदागर उर- नूपुर, णग पर्वत, णगर किन्नर, मयूर - मयूर, वरायहंस - श्रेष्ठ राजहंस, सारस - सारस, चकोर चकोर, चक्कवागमिहुण- चक्रवाक मिथुन-जोड़ा, चामर - चामर, खेडग - पटिया, पव्वीसग प्रविशक-एक प्रकार का वादिन्त्र, विपंचि - वादिन्त्र विशेष, वरतालियंट - ताड़ का उत्तम पंखा, सिरियाभिसेय श्रीकाभिषेक - अभिषेक युक्त लक्ष्मी, मेइणि - मेदिनी - पृथ्वी, खग्गंकुस खड्ग, अंकुश, विमलकलस निर्मल कलश, भिंगार - झारी, वद्धमाणगवर्द्धमानक- शराव, पसत्थउत्तम प्रशस्त और उत्तम मांगलिक, विभत्तरव प्रधान- श्रेष्ठ, पुरिस· लक्खणधरा- पुरुषों के लक्षण के धारक ।
कुमुदवन, मगर मगर, हार
हार, गागर स्त्रियों का आभूषण,
नगर, वइर वज्र, किण्णर
भावार्थ- वे चक्रवर्ती नरेन्द्र अपने शरीर पर - सूर्य, चन्द्र, शंख, श्रेष्ठ चक्र, स्वस्तिक, पताका, यव, मत्स्य, कुर्म, श्रेष्ठ रथ, योनि, भवन, विमान, अश्व, तोरण, द्वार, मणि, रत्न, नन्धावर्त, मूसल, हल, श्रेष्ठ, कल्पवृक्ष, सिंह, भद्रासन, सुन्दर स्तंभ, उत्तम मुकुट, मुक्तालड़ी, कुण्डल, हाथी, श्रेष्ठ वृषभ, द्वीप, मेरुपर्वत, गरुड़, ध्वज, इन्द्रध्वज, दर्पण, अष्टापद, धनुषबाण, नक्षत्र, मेघ, मेखला, वीणा, जुआ, छत्र, माला, दामिनी (बड़ी माला) कमण्डलु, कमल, घण्टा, श्रेष्ठ जलपोत, सूई, सागर, कुमुदवन, मगर, हार सागर, (एक आभूषण) नूपुर, पर्वत, नगर, वज्र, किन्नर, मयूर, श्रेष्ठ राजहंस, सारस, चकोर, चक्रवाकयुगल, चामर, पटिया, प्रविशक, विपंचि, तालवृक्ष का उत्तम पंखा, अभिषेक युक्त लक्ष्मी, पृथ्वी, खड्ग, अंकुश, निर्मल कलश, झारी, वर्द्धमानक-इन प्रशस्त मांगलिक और उत्तम पुरुष - लक्षणों को धारण करने वाले हैं।
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चक्रवर्ती की ऋद्धि
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मेखला - कटिसूत्र, दामिनी - पूरे शरीर
विवेचन - पुरुषों के हाथ-पांव आदि में जो उत्तम लक्षणों को बताने वाली विभिन्न आकृतियों की रेखाएं होती हैं, उनका उल्लेख इस सूत्र में हुआ है। चक्रवर्ती में ये सभी उत्तम लक्षण होते हैं।
चक्रवर्ती की ऋद्धि
बत्तीसं वररायसहस्साणुजायमग्गा चउंसट्ठिसहस्सपवरजुवतीण-णयणकंता रत्ताभा
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