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प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु० १ अ०४
*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*********************** १७. अशील १८. ग्रामधर्म १०. रति २०. रागचिन्ता २१. कामभोगमार २२. वेर २३. रहस्य २४. गुप्त २५. बहुमान्य २६. ब्रह्मचर्य-विघातक २७. व्यापत्ति २८. विराधना २९. प्रसंग और ३०. कामगुण । इस प्रकार अब्रह्म के ये तीस नाम हैं।
अब्रह्म सेवी देवादि तं च पुण णिसेवंति सुरगणा सअच्छरा मोहमोहियमई असुर-भुयग-गरुल-विजु जलण-दीव-उदहि-दिसि-पवण-थणिया, अणवण्णिय-पणवण्णिय-इसिवाइयभूपवाइप-कंदिय-महाकंदिय-कूहंड-पयंगदेवा, पिसाय-भूय-जक्ख-रक्खसकिण्णर-किंपुरिस-महोरग-गंधव्वा, तिरिय-जोइस-विमाणवासि-मणुयगणा, जलयरथलयर-खहयरा, मोहपडिबद्धचित्ता अवितण्हा कामभोगतिसिया, तण्हाए बलवईए . महइए समभिभूपा गढिया य अइमुच्छिया य अबंभे उस्सण्णा तामसेण भावेण अणुम्मुक्का दंसण-चरित्तमोहस्स पंजरं विव करेंति अण्णोण्णं सेवमाणा। . शब्दार्थ - तं च - उसके, पुण:- पुनः णिसेवंति - सेवन करते हैं, सुरगणा - देवगण, सअच्छरा- .. अप्सराओं के साथ, मोहमोहियमई - जिनकी मति मोह से मोहित है, असुर - असुरकुमार, भुयग - नागकुमार, गरुल - गरुड़-गरुड़ की ध्वजा वाले-सुवर्णकुमार, विजु - विद्युतकुमार, जलण - अग्निकुमार, दीव - द्वीपकुमार, उदहि - उदधिकुमार, दिसि - दिशाकुमार, पवण - पवनकुमार, थणिया- ' स्तनितकुमार, अणवण्णिय - आणपत्रिक, पणवणिय - पाणपन्निक, इसिवाइय - ऋषिवादिक, भूयवाइय - भूतवादिक, कंदिय - कंदित, महाकंदिय - महाकंदित, कूहंड - कूष्मांड, पयंग - पतंग, देव - देव हैं, पिसाय - पिशाच, भूय - भूत, जक्ख - यक्ष, रक्खस - राक्षस, किण्णर - किन्नर, किंपुरिस - किम्पुरुष, महोरग - महोरग, गंधव्वा - गन्धर्व, तिरिय - तिरछे, जोइस - ज्योतिषी, बिमाणवासी - विमानवासी, मणुयगणा - मनुष्य गण, जलयर - जलचर, थलयर - स्थलचर, खहयरा - खेचर-नभचर, मोहपडिबद्धचित्ता - जिनका चित्त मोह से जकड़ा हुआ है, अवितण्हा- अत्यन्त तृष्णा वाले, कामभोगतिसिया - कामभोग के प्यासे, तण्हाए - तृष्णा से, बलवईएबलवती, महइए - महति-अत्यन्त, समभिभूया - पीड़ित पराजित, आक्रांत, गढिया - ग्रथित-गृद्ध, अइमुच्छिया - अत्यन्त मूच्छित, अबंभे - अब्रह्मचर्य, उस्सण्णा - अत्यन्त आसक्त, तामसेण भावेणतामस भाव से, अणुम्मुक्का - मुक्त नहीं हैं, दंसणचरित्तमोहस्स - दर्शन और चारित्रमोहनीय का, पंजरं-पिंजरा, विव- समान, करेंति-करते हैं, अण्णोण्णं-अन्योन्य-परस्पर, सेवमाणा-सेवन करते हुए।
भावार्थ - मैथुन का सेवन वे देवगण करते हैं जो मोहाभिभूत हैं। वे अप्सराओं के साथ क्रीड़ा करते हैं। भवनपति जाति के - १. असुरकुमार २. नागकुमार ३. सुवर्णकुमार ४. विद्युतकुमार
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