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तइओ उद्देसओ - तृतीय उद्देशक ..
विधिप्रतिकूल भिक्षा-याचना का प्रायश्चित्त जे भिक्खू आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा । ओभासिय ओभासिय जायइ जायंतं वा साइज्जइ॥१॥
एवं अण्णउत्थियाओ वा गारत्थियाओ वा, अण्णउत्थिणी वा गारत्थिणी वा; अण्णउत्थिणीओ वा गारस्थिणीओ वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा ओभासिय ओभासिय जायइ जायंतं वा साइजइ॥ २-३-४॥
जे भिक्खू आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा कोउहल्लपडियाए पडियागयं समाणं अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा अण्णउत्थियाओ वा गारत्थियाओ वा, अण्णउत्थिणी वा गारत्थिणी वा, अण्णउत्थिणीओ वा गारत्थिणीओ वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा ओभासिय ओभासिय जायइ जायंतं वा साइजइ॥५-६-७-८॥ ___ जे भिक्खू आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा, अण्णउत्थिएहि वा गारथिएहि वा, अण्णउत्थिणीए वा गारत्थिणीए वा, अण्णउत्थिणीहि वा गारस्थिणीहि वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आहट्ट दिजमाणं पडिसेहेत्ता तमेव अणुवत्तिय अणुवत्तिय परिवेढिय परिवेढिय परिजविय परिजविय ओभासिय ओभासिय जायइ जायंतं वा साइजइ॥९-१०-११-१२॥
कठिन शब्दार्थ - आगंतारेसु - आगन्तृ - आगारों में - धर्मशालाओं में, आरामागारेसुउद्यानगृहों में, गाहावइकुलेसु - गाथापति कुलों में - गृहस्थ परिवारों में, परियावसहेसु - आश्रमों में या तापसों के आवास-स्थानों में, अण्णउत्थियं - अन्यतीर्थिक से, गारत्थियं - गृहस्थ से, असणं पाणं खाइमं साइमं - अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य, ओभासिय-ओभासियउच्च स्वर से संबोधित कर - जोर-जोर से बोल-बोलकर, एवं - इस प्रकार, अण्णउत्थियाओ
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