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निशीथ सूत्र
- जे भिक्खू तणगिहंसि वा तणसालंसि वा तुसगिहंसि वा तुससालंसि वा भुसगिहंसि वा भुससालंसि वा उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ॥ ७४॥ - जे भिक्खू जाणगिहंसि वा जाणसालंसि वा जुग्गगिहंसि वा जुग्गसालंसि वा उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिहवेंतं वा साइज्जइ॥ ७५॥
जे भिक्खू पणियसासि वा पणियगिहंसि वा परियासालंसि वा परियागिहंसि वा कुवियसालंसि वा कुवियगिहंसि वा उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइजइ॥ ७६॥ . जे भिक्खू गोणसालंसि वा गोणगिहंसि वा महाकुलंसि वा महागिहंसि वा उच्चारपासवणं परिद्ववेइ परिद्ववेतं वा साइजइ॥ ७७॥
भावार्थ - ६९. जो भिक्षु धर्मशालाओं, उपवनगृहों, गाथापतिकुलों एवं परिव्राजकों के आश्रमों - इनमें से किसी में मल-मूत्र त्यागता है, परठता है अथवा वैसा करने वाले का . अनुमोदन करता है। ____७०. जो भिक्षु उद्यान, उद्यानगृह, उद्यानशाला, निर्याण, निर्याणगृह तथा निर्याणशाला - इनमें से किसी में मल-मूत्र त्यागता है, परठता है या वैसा करते हुए का अनुमोदन करता है।
७१. जो भिक्षु अट्ट - कोट, अट्टालिका, चरिका, प्राकार - परकोटा, द्वार और गोपुर - इनमें से किसी में मल-मूत्र त्यागता है, परठता है अथवा ऐसा करने वाले का अनुमोदन करता है।
७२. जो भिक्षु उदक - जल स्रोतादि, जल मार्ग, जल-पथ, जल-तीर एवं जल संग्राह्य स्थान - इनमें से किसी में मल-मूत्र त्यागता है, परठता है या ऐसा करते हुए का अनुमोदन करता है।
७३. जो भिक्षु शून्यगृह, शून्यशाला, भिन्नगृह, भिन्नशाला, कूटागार तथा कोष्ठागार - इनमें से किसी में मल-मूत्र त्यागता है, परठता है अथवा वैसा करने वाले का अनुमोदन करता है। ___७४. जो भिक्षु तृणगृह, तृणशाला, तुषगृह, तुषशाला, भूसागृह और भूसाशाला - इनमें से किसी में मल-मूत्र त्यागता है, परठता है या वैसा करते हुए का अनुमोदन करता है।
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