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निशीथ सूत्र
प्रस्तुत आगम के प्रारम्भ में ही दिया गया है। काम - विजयी साधु अहिंसा आदि सभी महाव्रतों का कृत, कारित, अनुमोदित रूप में सम्यक् पालन करने में सदा सन्नद्ध रहता है 1
निशीथ सूत्र के प्रथम उद्देशक में हस्त-कर्म आदि कुकृत्यों के लिए गुरुमासिक प्रायश्चित्त का विधान है। प्रायश्चित्त मूलक शब्दावली का सर्वत्र अध्याहार किया गया है। अंगादान - विषयक दुष्कर्म : प्रायश्चित्त
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जे भिक्खू अंगादाणं कट्टेण वा किलिंचेण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा संचालेइ संचालेंतं वा साइज्जइ ॥ २ ॥
जे भिक्खू अंगादाणं संवाहेज्ज वा पलिमद्देज वा संवाहतं वा पलिमद्देतं वा साइज्जइ ॥ ३॥
जे भिक्खू अंगादाणं तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा • अब्भंगेज वा मक्खेज्ज वा भिलिंगेज्ज वा अब्भंगतं वा मक्खेंतं वा भिलिंगेंत वा साइज्जइ ॥ ४ ॥
जे भिक्खू अंगादाणं कक्केण वा लोद्धेण वा पउमचुणेण वा पहाणेण वा सिणाणेण वा चुण्णेहिं वा वण्णेहिं वा उव्वट्टेइ वा परिवट्टेइ वा उव्वट्टेतं वा परिवतं वा साइज्जइ ॥ ५ ॥
जे भिक्खू अंगादाणं सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज वा उच्छोलेंतं वा पधोलेंतं वा साइज्जइ ॥ ६॥
जे भिक्खू अंगादाणं णिच्छल्लेइ णिच्छालेंतं वा साइज्जइ ॥ ७ ॥ जे भिक्खू अंगादाणं जिग्घइ जिग्घंतं वा साइज्जइ ॥ ८ ॥
कठिन शब्दार्थ - अंगादाणं - अंगादान - जननेन्द्रिय, कट्ठेण काष्ठ द्वारा, किलिंचेणबांस आदि की सलाई से - बांस आदि के चीरे हुए टुकड़े द्वारा, अंगुलियाए - अंगुली से सलागाए - लोहादि से निर्मित शलाका - सलाई द्वारा, संचालेइ - संचालित करता है, • संचालेंतं - संचालन करते हुए का, संवाहेज्ज संवाहन सामान्यतः मर्दन करे, पलिमद्देज्जविशेष रूप से मर्दन करे, तेल्लेण तेल द्वारा, घएण घृत घी द्वारा, वसाए - स्निग्ध पदार्थ द्वारा, णवणीएण - नवनीत मक्खन द्वारा, अब्भंगेज्ज - अभ्यंगन मालिश करे,
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考
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