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निशीथ सूत्र
वा महिसजुद्धाणि वा सूयरजुद्धाणि वा चक्खुदंसणपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेंतं वा साइज्जइ॥ २४॥
जे भिक्खू गाउजूहिय(ट्ठा) ठाणाणि वा हयजूहियठाणाणि वा गयजूहियठाणाणि वा चक्खूदंसणपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेतं वा साइज्जइ॥ २५॥ - कठिन शब्दार्थ - आसकरणाणि - अश्वकरणानि - अश्वों को क्रीड़ा आदि हेतु शिक्षित करने के स्थान, हत्थि - हाथी, उट्ट - ऊँट, महिस - भैंसा, सूयर - सूअर, जूहिय - यूथ - समूह।
भावार्थ - २३. जो भिक्षु अश्व, हाथी, ऊँट, वृषभ, महिष, सूअर इत्यादि को क्रीड़ा हेतु प्रशिक्षित करने के स्थान को नेत्रों से देखने की इच्छा से मन में भावना करता है या वैसा करते हुए का अनुमोदन करता है। ___२४. जो भिक्षु अश्व, हाथी, ऊँट, वृषभ, महिष, सूअर इत्यादि के युद्ध को आँखों से देखने की इच्छा से मन में निश्चय करता है या वैसा करते हुए का अनुमोदन करता है।
२५. जो भिक्षु गाय, अश्व, हाथी आदि के समूह स्थानों को नेत्रों से देखने की इच्छा से मन में भावना करता है या वैसा करते हुए. का अनुमोदन करता है। , ___ इस प्रकार उपर्युक्त अविहित कार्य करने वाले भिक्षु को लघु चातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है। __जे भिक्खू अभिसेयठाणाणि वा अक्खाइयठाणाणि वा माणुम्माणियप्पमाणिय-ठाणाणि वा महया हयणट्टगीयवाइयतंती-तलतालतुडियपडुप्पवाइयठाणाणि वा चक्खुदंसणपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेंतं वा साइज्जइ॥ २६॥
कठिन शब्दार्थ - अभिसेयठाणाणि - अभिषेक स्थान - राज्याभिषेक के स्थान, अक्खाइयठाणाणि - जहाँ कथाएँ होती हों, माणुम्माणियप्पमाणियठाणाणि - मान (प्रमाण युक्त पात्र विशेष से मापना), उन्मान (तराजू आदि से तोलकर देना), प्रमाण (हाथ, अंगुल आदि से मापना) के स्थान, महया - जोर से, हय - थापपूर्वक (मुरज आदि पर), णट्ट - नृत्य, वाइय - वादित - बजाए जाते हुए, तंती - तन्तुवाद्य, पडुप्पवाइय - कुशलतापूर्वक बजाए जाते हुए।
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