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________________ - [26] कं० पृष्ठ २६४ २६५ २६६ २६७ २६८. - २६९ '२७६ २७७ - २८० २८१ २८3-30५ २८३ विषय - १८८. गृहस्थों के पात्र में आहार करने का प्रायश्चित्त १८९. गृहस्थ के वस्त्र के उपयोग का प्रायश्चित्त १९०. गृहस्थ के आसन-शय्यादि के उपयोग का प्रायश्चित्त १९१. पूर्वकर्मकृत दोषयुक्त आहार-ग्रहण-प्रायश्चित्त १९२. सचित्त पात्र आदि से आहार-ग्रहण-प्रायश्चित्त १९३. भौतिक आकर्षण-आसक्ति-विषयक प्रायश्चित्त १९४. आहार विषयक कालमर्यादा के उल्लंघन का प्रायश्चित्त १९५. मर्यादित क्षेत्र से बाहर आहार ले जाने का प्रायश्चित्त १९६. गृहस्थ से उपधि-वहन का प्रायश्चित्त १९७. महानदी पार करने का प्रायश्चित्त तेरहमो उद्देसओ - त्रयोदश उद्देशक १९८. सचित्त पृथ्वी आदि पर स्थित होने का प्रायश्चित्त १९९. अनावृत उच्च स्थान पर खड़े रहने आदि का प्रायश्चित्त २००. शिल्पकलादि शिक्षण विषयक प्रायश्चित्त २०१. अन्यतीर्थिक आदि को कटुवचन कहने का प्रायश्चित्त २०२. मंत्र-तंत्र-विद्यादि विषयक प्रायश्चित्त २०३. मार्गादि बताने का प्रायश्चित्त २०४. धातु एवं निधि बताने का प्रायश्चित्त २०५. पात्रादि में अपना प्रतिबिम्ब देखने का प्रायश्चित्त - २०६. वमन आदि हेतु औषधप्रयोग विषयक प्रायश्चित्त २०७. पार्श्वस्थ आदि की वंदना-प्रशंसा करने का प्रायश्चित्त २०८. धातृपिंडादि सेवन करने का प्रायश्चित्त चउद्दसमो उद्देसओ - चतुर्दश उद्देशक २०९. पात्र क्रयादि विषयक प्रायश्चित्त २१०. गणि की आज्ञा बिना अतिरिक्त पात्र अन्य को देने का प्रायश्चित्त २११. अतिरिक्त पात्र देने, न देने का प्रायश्चित्त २८५ २८६ . २८७ २८८ २९२ २९३ २९४ २९६ २९८ ३०२ 30६-3२६ ३०६ . ३०८ ३०९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004200
Book TitleNishith Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size9 MB
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