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निशीथ सूत्र
उसके जीवन में कोई स्थान नहीं है। वैसा करना उसके लिए अलंकरण न होकर दूषण रूप है। वह तो आत्मोद्दिष्ट जीवन जीता है, देहोद्दिष्ट नहीं। अत एव उसके सभी कार्य-कलाप आत्मशुद्धि एवं आत्माभ्युदय को लक्षित कर गतिशील रहते हैं।
परिष्ापना समिति विषयक - दोष प्रायश्चित्त जे भिक्खू साणुप्पए उच्चारपासवणभूमिं ण पडिलेहेइ ण पडिलेहंतं वा साइज्जइ॥ १०५॥
जे भिक्खू तओ उच्चारपासवणभूमीओ ण पडिलेहेइ ण पडिलेहंतं वा साइज्जइ॥ १०६॥
जे भिक्खू खुड्डागंसि थंडिलंसि उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिहवेंतं वा साइजइ॥ १०७॥
जे भिक्ख उच्चारपासवणं अविहीए परिद्ववेइ परिद्ववेंतं वा साइज्जइ॥१०८॥ जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिट्ठवेत्ता ण पुंछइ ण पुंछंतं वा साइजइ॥१०९॥
जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिट्ठवेत्ता कटेण वा किलिंचेण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा पुंछइ पुंछंतं वा साइजइ॥ ११०॥
जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिट्ठवेत्ता णायमइ णायमंतं वा साइजइ॥१११॥
जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिवेत्ता तत्थेव आयमइ आयमंतं वा साइज्जइ॥ ११२॥ ___जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिट्ठवेत्ता अइ दूरे आयमइ आयमंतं वा साइज्जइ॥ ११३॥
जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिद्ववेत्ता परं तिण्हं णावापूराणं आयमइ आयमंतं वा साइज्जइ॥ ११४॥
कठिन शब्दार्थ - साणुप्पए - सानुपाद - दिन की चौथी पौरुषी (पोरसी) का चौथा भाग, उच्चारपासवणभूमिं - उच्चार-प्रस्रवण भूमि - मल-मूत्र त्याग का स्थान, पडिलेहेइ -
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