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________________ ............................ ......................... भीम का आश्वासन तए णं से भीमे कूडग्गाहे उप्पलं भारियं एवं वयासी-मा णं तुमं देवाणुप्पिया! ओहय० झियाहि, अहं णं तहा करिस्सामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सइ, ताहिं इट्ठाहिं ५ जाव वगूहिं समासासेइ॥४७॥ ___कठिन शब्दार्थ - संपत्ती - संप्राप्ति-पूर्ति, वर्षि - वचनों से, समासासेइ - आश्वासन देता है। भावार्थ - तत्पश्चात् कूटग्राह भीम ने अपनी उत्पला भार्या से कहा कि-हे भद्रे! तू चिंता मत कर मैं वही कुछ करूंगा, जिससे कि तुम्हारे इस दोहद की पूर्ति हो जाय। इस प्रकार के इष्ट-प्रिय वचनों से वह उसे आश्वासन देता है। . विवेचन - सगर्भा स्त्री को गर्भ रहने के दूसरे या तीसरे महीने में गर्भगत जीव के भविष्य के अनुसार अच्छी या बुरी जो इच्छा उत्पन्न होती है उसको 'दोहद' कहते हैं। प्रस्तुत सूत्र में भीम नामक कूटग्राह की उत्पला स्त्री के दोहद का वर्णन किया गया है। उसे नागरिक पशुओं के विविध प्रकार के शूल्य (शूलाप्रोत) आदि मांसों के साथ सुरा आदि का सेवन करने का दोहद उत्पन्न हुआ और दोहद के पूर्ण नहीं होने से वह चिंताग्रस्त हो सूखने लगी और उसका शरीर मांस के सूखने से अस्थिपंजर-सा हो गया। भीम ने उत्पला के चिंताग्रस्त होने के कारण को जान कर उसे संपूर्ति करवाने का आश्वासन दिया। दोहद पूर्ति एवं पुत्रजन्म तए णं से भीमे कूडग्गाहे अद्धरत्तकालसमयंसि एगे अबीए संणद्ध जाव पहरणे सयाओ गिहाओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता हत्थिणाउरे णयरे मज्झंमज्झेणं जेणेव गोमंडवे तेणेव उवागए २ ता बहूणं णगरगोरूवाणं जाव वसभाण य अप्पेगइयाणं ऊहे छिंदइ जाव अप्पेगइयाणं कंबले छिंदइ अप्पेगइयाणं अण्णमण्णाणं अंगोवंगाणं वियंगेइ वियंगेत्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता उप्पलाए कूडग्गाहिणीए उवणेइ। तए णं सा उप्पला भारिया तेहिं बहूहिं गोमंसेहि य सोल्लेहि य सुरं च (५) आसाएमाणी० तं दोहलं विणेइ। तए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004199
Book TitleVipak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size7 MB
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