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________________ प्रथम अध्ययन साधना और समाधिमरण Jain Education International - - सुबाहुकुमार ने भगवान् के उपरोक्त धर्मोपदेश को सुन कर उसे सम्यक् प्रकार अंगीकार किया। वह भगवान् की आज्ञा अनुसार ही सारी क्रियाएं करता था और प्राण, भूत, जीव, सत्त्व की रक्षा करता हुआ संयम का पालन करता था । साधना और समाधिमरण तएणं से सुबाहुकुंमारे अणगारे जाए ईरियासमिए जाव बंभयारी। तएणं से सुबाहू अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंति सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्झेइ अहिज्झित्ता बहूहिं चउत्थछट्ठट्ठमेहिं जाव तवोविहाणेहिं अप्पाणं भावित्ता बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सट्ठि भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइय पडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववण्णे । सेणं तओ देवलगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झिहिति बुज्झित्ता तहारूवाणं थेराणं अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वइस्सइ । से णं तत्थ बहुएं वासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालगए सणकुमारे देवत्ताए उववज्जिहिइ। से णं तओ देवलोगाओ तहेव माणुस्सं पव्वज्जा, तव बंभलोए से णं ताओ देवलोगाओ तहेव माणुस्सं पव्वज्जा, तहेव महासुक्के तओ देवलगाओ तहेव माणुस्सं पव्वज्जा, तहेव आणए तओ देवलोगाओ तहेव माणुस्सं पव्वज्जा, तहेव आरणाए ताओ देवलोगाओ तहेव माणुस्सं पव्वज्जा, तहेव सव्वट्ठसिद्धे ॥ २३४॥ • कठिन शब्दार्थ - इरियासमिए - ईर्यासमिति से युक्त, बंभया पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला, सामाइयमाइयाई - सामायिक आचारांग आदि, चउत्थछट्ठट्ठमेहिं - चतुर्थभक्त (उपवास) षष्ठभक्त (बेला) अष्टमभक्त (तेला), वोविहाणेहिं नाना प्रकार के तपों द्वारा, सामण्णपरियागं श्रमण पर्याय का, पाउणित्ता चिंतन करते हुए, आलोड़यपडिक्कंते आत्म पालन करके, अप्पाणं झूसित्ता आलोचना और प्रतिक्रमण करके, समाहित् - - For Personal & Private Use Only ३२ - ܀܀ - - www.jainelibrary.org
SR No.004199
Book TitleVipak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size7 MB
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