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________________ प्रथम अध्ययन - स्वप्न पाठकों द्वारा फलादेश । २३५ ......................................................... भावार्थ - इसके पश्चात् वे स्वप्न पाठक अदीनशत्रु राजा से इस विषय को सुन कर और हृदय में धारण करके हर्षित एवं संतुष्ट हुए। तत्पश्चात् उन्होंने उस स्वप्न का सम्यक् प्रकार से अवग्रह किया, अवग्रह करके ईहा यानी विशेष विचार किया, विचार करके एक दूसरे के साथ यानी परस्पर चर्चा करने लगे। चर्चा करके जब उस स्वप्न का फल मालूम हो गया, गृहीत हो गया आपस में पूछताछ करने से निश्चित हो गया, विनिश्चित हो गया और पूर्ण निश्चित हो गया तब वे अदीनशत्रु राजा के सामने स्वप्न शास्त्र के वाक्यों का उच्चारण करते हुए इस प्रकार बोले - हे स्वामिन्! हमने स्वप्नशास्त्र में बयालीस साधारण स्वप्न और तीस महास्वप्न इस प्रकार सब बहत्तर स्वप्न देखे हैं। हे राजन्! इनमें से जब अर्हत यानी तीर्थंकर अथवा चक्रवर्ती अपनी माता के गर्भ में आते हैं तब तीर्थंकर की माता अथवा चक्रवर्ती की माता इन तीस महास्वप्नों में से ये चौदह महास्वप्न देख कर जागृत होती है। • यथा. - १. हाथी २. बैल ३. सिंह ४. अभिषेक ५. फूलों की माला ६. चन्द्रमा ७. सूर्य ८. ध्वजा ६. कलश १०. पद्म सरोवर ११. समुद्र १२. वैमानिक देवों का विमान या भवनपति देवों का भवन १३. रत्नों की राशि १४. अग्नि की शिखा। . . ____ जब वासुदेव गर्भ में आता है तब वासुदेव की माता इन चौदह महास्वप्नों में से कोई सात महास्वप्न देख कर जागृत होती है। जब बलदेव गर्भ में आता है तब बलदेव की माता इन चौदह महास्वप्नों में से कोई चार महास्वप्न देख कर जागृत होती है। जब मांडलिक राजा गर्भ में आता है तब मांडलिक राजा की माता इन चौदह महास्वप्नों में से कोई एक महास्वप्न देख कर जागृत होती है। हे स्वामिन्! धारिणी रानी ने इन महास्वप्नों में से एक महास्वप्न देखा है। हे स्वामिन्! धारिणी रानी ने उदार स्वप्न देखा है। हे स्वामिन्! धारिणी रानी ने आरोग्य, संतोष, दीर्घायु, कल्याण यावत् मंगल करने वाला स्वप्न देखा है। इससे हे स्वामिन्! अर्थ लाभ होगा, सुख लाभ होगा, भोग लाभ होगा, पुत्र लाभ होगा, राज्य लाभ होगा। इस प्रकार हे स्वामिन्! पूरे नव मास बीत जाने पर धारिणी रानी. एक पुत्र को जन्म देगी। __ वह बालक बाल्यावस्था का त्याग कर कलाओं का ज्ञाता होगा। यौवन अवस्था को प्राप्त करके शूर, वीर, पराक्रमवान्, सेना और वाहन आदि को बढाने वाला, राज्य का स्वामी राजा होगा अथवा भावितात्मा अनगार होगा। इसलिए हे स्वामिन्! धारिणी देवी ने उदार स्वप्न देखा है यावत् आरोग्यकारक एवं तुष्टि का एक स्वप्न देखा है। इस प्रकार उन स्वप्न पाठकों ने बारबार राजा से कहा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004199
Book TitleVipak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size7 MB
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