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________________ क्रं. विषय १२४. राजा को सूचना १२५. पुष्यनंदी का कोप १२६.भविष्य-पृच्छा अंजू नामक दसवां अध्ययन १२७. प्रस्तावना १६५ [19] ८. राजा का आदेश ६. स्वप्न पाठकों को बुलावा १०. स्वप्न पाठकों द्वारा फलादेश ११. स्वप्न पाठकों को प्रीतिदान १२. गर्भ की सुरक्षा १३. सुबाहुकुमार का जन्म Jain Education International पृष्ठ क्रं. विषय १२८.पूर्व भव- पृच्छा १२६. भगवान् का समाधान १३०. अंजूश्री का सुखोपभोग १३१. अंजूश्री की महावेदना १३२. भविष्य - पृच्छा १६० १६० १६३ सुख विपाक नामक द्वितीय श्रुतस्कन्ध क्रं. • विषय विषय १. सुबाहु नामक प्रथम अध्ययन १. उत्थानिका २. गौतम स्वामी की जिज्ञासा ३. नगर आदि का वर्णन ४. धारिणी रानी का वर्णन ५. धारिणी का स्वप्न-दर्शन स्वप्न- निवेदन ६. ७. राजा द्वारा स्वप्न फल कथन पृष्ठ / क्र. १४. जन्मोत्सव १५. अनेक संस्कार १६. नामकरण संस्कार २०३ २०४ २०५ १७. सुबाहुकुमार का लालन-पालन २१० १८. पुत्र के लिए माता-पिता के कौतुक २१२ १६. सुबाहुकुमार का कला - शिक्षण २०. कलाचार्य का सम्मान २१६ २१६ २२२ २१. माता-पिता द्वारा महलों का निर्माण २२. सुबाहुकुमार का पांच सौ कन्याओं के साथ पाणिग्रहण एवं प्रीतिदान पृष्ठ १६६ १६६ १६७ १६८ २०० For Personal & Private Use Only पृष्ठ. २४१ २४२ २४४ २४५ २४७ २४७ २५० २५१ २३० २५५ २३३ २३. सुबाहुकुमार का पत्नियों को प्रीतिदान २६१ - २४. सांसारिक सुखोपभोग २६२ २३६ २३७ २५. भगवान् महावीर स्वामी का वर्णन २६३ २३६ २६. भगवान् का आगमन २७१ www.jainelibrary.org
SR No.004199
Book TitleVipak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size7 MB
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