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बहस्सइदत्ते णामं पंचमं अज्झयणं
बृहस्पत्तिदत्त नामक पांचवां अध्ययन
उत्थानिका - विपाक सूत्र के चौथे अध्ययन में शकटकुमार के हिंसक और व्यभिचारी जीवन का वर्णन करने के बाद सूत्रकार इस पांचवें अध्ययन में भी एक ऐसे ही मैथुन सेवी व्यक्ति का जीवन परिचय करा रहे हैं जिसका प्रथम सूत्र इस प्रकार है -
उत्क्षेप-प्रस्तावना ____ जइ णं भंते!.......पंचमस्स अज्झयणस्स उक्खेवो। एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसंबी णामं णयरी होत्था रिद्धस्थिमिय० बाहिं चंदोयरणे उज्जाणे, सेयभद्दे जक्खे। ___ तत्थ णं कोसंबीए णयरीए सयाणीए णामं राया होत्था महया०। मियावई देवी। तस्स णं सयाणीयस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए उदायणे णामं कुमारे होत्था अहीण० जुवराया। तस्स णं उदायणस्स कुमारस्स पउमावई णामं देवी होत्था। तस्स णं सयाणीयस्स सोमदत्ते णामं पुरोहिए होत्था रिउव्वेय-यजुव्वेय-सामवेयअथव्वणवेय कुसले। तस्स णं सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ता णामं भारिया होत्था। तस्स णं सोमदत्तस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए बहस्सइदत्ते णामं दारए होत्था अहीण 11880
भावार्थ - पंचम अध्ययन का उत्क्षेप - प्रस्तावना पूर्व के अनुसार समझ लेना चाहिये। हे जंबू! इस प्रकार निश्चय ही उस काल तथा उस समय में कौशाम्बी नाम की नगरी थी जो ऋद्धि समृद्धि से युक्त थी। उस नगरी के बाहर चन्द्रावतरण नाम का उद्यान था उसमें श्वेत भद्र नामक यक्ष का स्थान था।
उस कौशाम्बी नगरी में शतानीक नामक राजा था जो कि महान् हिमालय आदि पर्वतों के समान महान् था। उसकी मृगावती नाम की रानी थी। उस शतानीक का पुत्र और मृगावती का आत्मज उदयन नामक एक कुमार था जो कि अन्यून एवं निर्दोष पंचेन्द्रिय शरीर वाला तथा
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