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चतुर्थ अध्ययन छणिक छागलिक के हिंसक कृत्य
य महिसाण य सयबद्धाण य सहस्सबद्धाण य जूहाणि वाडंगंसि संणिरुद्धाई चिट्ठति, अण्णे य तत्थ बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य सारक्खमाणा संगोवेमाणा चिट्ठति, अण्णे य से बहवे पुरिसा अयाण य जाव गिर्हसि संणिरुद्धा चिट्ठति, अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव सहर (महि ) से य जीवियाओ ववरोवेंति ववरोवेत्ता मंसाई कप्पणिकप्पियाइं करेंति करेंत्ता छणियस्स छागलियस्स उवणेंति, अण्णेय से बहवे पुरिसा ताई बहूयाइं अयमंसाइं जाव महिसमंसाई तवएसु य कवल्लीसु य कंदुएसु य भज्जणेसु य इंगालेसु य तलेंति य भज्जेंति य सोल्लेंति य० ओ रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, अप्पणा वि य णं से छणिए छागलिए तेहिं बहुवि० मंसेहिं जाव महिसमंसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भजिएहि य सुरं च ६ आसाएमाणे ४ विहरइ ॥ ६१ ॥
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सहस्सबद्धाण
वाटक- बाड़े में,
: कठिन शब्दार्थ अयाण अजों बकरों, एलाण रोझों-नील भेड़ों, रोज्झाण गायों, वसभाण वृषभों, ससयाण - शशकों खरगोशों, पसयाण मृग विशेषों अथवा मृगशिशुओं, सूयराण - शूकरों-सूयरों, सिंहाण सिंहों, हरिणाण - हरिणों, मऊराण मयूरों, महिसाण - महिषों-भैंसों, सयबद्धाण - शतबद्ध - जिसमें १०० बंधे हुए हों, सहस्रबद्ध- जिसमें १००० बंधे हुए हों, जूहाणि - यूथ समूह, वाडगंसि सण्णिरुद्धाई सम्यक् प्रकार से रोके हुए, दिण्णभइभत्तवेयणा - दत्तभृत्तिभक्तवेतना-जिन्हें वेतन के रूप में भृत्ति - रुपये पैसे और भक्त भोजनादि दिया जाता हो ऐसे पुरुष, सारक्खमाणासंरक्षण करते हुए, संगोवेमाणा- संगोपन करते हुए, कप्पणिकप्पियाइं - कर्तनी - कैंची अथवा छुरी के द्वारा टुकड़े, तवएसु तवों पर, कवल्लीसु - कडाहों में, कंदुएसु - कंदुओं ( हांडों अथवा कडाहियों या लोहे के पात्र विशेषों) में, भज्जणेसु - भर्जनकों - भूनने के पात्रों में, इंगालेसु - अंगारों पर, तलेंति-तलते हैं, भज्जेंति - भूनते हैं, सोल्लेति शूल द्वारा पकाते हैं।
भावार्थ - उस छण्णिक छागलिक के अनेक अजों (बकरों), भेड़ों, नीलगायों, वृषभों, शशकों, मृगविशेषों (मृगशिशुओं ) शूकरों, सिंहों, हरिणों, मयूरों और महिषों के शतबद्ध एवं सहस्रबद्ध अर्थात् सौ-सौ तथा हजार-हजार पशु जिनमें बंधे रहते थे ऐसे यूथवाटक - बाडे में
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