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विपाक सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध ........................ .. ..................... अभग्नसेन ने शालाटवी चोरपल्ली से मध्याह्न के समय प्रस्थान किया और वह खाद्य पदार्थों को साथ लेकर विषम दुर्ग गहन वृक्ष वन में स्थिति करके उस दण्डनायक की प्रतीक्षा करने लगा।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में अभम्नसेन सेनापति द्वारा दण्डनायक के प्रतिरोध के लिए किये जाने वाली सैनिक तैयारी का वर्णन किया गया है।
राजा का प्रयास . तए णं से दंडे जेणेव अभग्गसेणे चोरसेणावई तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अभग्गसेणेणं चोरसेणावइणा सद्धिं संपलग्गे यावि होत्था। तए णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई तं दंडं खिप्पामेव हयमहिय जाव पडिसेहिइ।
तए णं से दंडे अभग्गसेणेणं चोरसेणावइणा हय जाव पडिसेहिए समाणे अथामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमितिकटु जेणेव . पुरिमताले णयरे जेणेव महाबले राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल० एवं वयासी-एवं खलु सामी! अभग्गसेणे चोरसेणावई विसमदुग्गगहणं ठिए गहियभत्तपाणिए णो खलु से सक्का केणइ सुबहुएणावि आसबलेण वा हत्थिबलेण वा जोहबलेण वा रहबलेण वा चाउरिंगिणिं-पि० उरंउरेणं गिण्हित्तए ताहे सामेण य भेएण य उवप्पयाणेण य वीसंभमाणे उवयए यावि होत्था। जे वि य से अन्भिंतरगा सीसगभमा मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि-परियणं च विउलधण-कणग-रयण-संतसार-सावएज्जेणं भिंदई अभग्गसेणस्स य चोरसेणावइस्स अभिक्खणं अभिक्खणं महत्थाई महग्घाई महरिहाई रायारिहाई पाहुडाइं पेसेइ पेसेइ अभग्गसेणं चोरसेणावई वीसंभमाणेइ॥१॥ ___ कठिन शब्दार्थ - संपलग्गे - युद्ध में प्रवृत्त, हयमहिय - हतमथित कर अर्थात् हनन किया-मारपीट की और मान का मर्दन कर, अथामे - तेजहीन, अबले - बलहीन, अवीरिएवीर्यहीन, अपुरिसक्कारपरक्कमे - पुरुषार्थ तथा पराक्रम से हीन, अधारणिज्जमितिकट्ठ - शत्रुसेना को पकड़ना कठिन है-ऐसा विचार कर, आसबलेण - अश्व बल से, हत्थिबलेण - हाथियों के बल से, जोहबलेण - योद्धाओं-सैनिकों के बल से, चाउरिंगिणिं - चतुरंगिणी सेना
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