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३४वें समवाय में तीर्थंकर भगवन्त के ३४ अतिशय बतलाए उसमें एक "भाषा अतिशय" भी है। इसके सम्बन्ध में बतलाया गया है कि तीर्थंकर अर्धमागधी भाषा में धर्म का आख्यान करते हैं। उनके द्वारा कही गई अर्धमागधी भाषा आर्य-अनार्य, द्विपद चतुष्पद, पशु पक्षी आदि जीवों के हित, कल्याण व सुख के लिए उनकी अपनी भाषाओं में परिणत हो जाती है। . ..
हाँ, तो तीर्थंकर भगवन्तों द्वारा उपदेष्टित वाणी वर्तमान में बत्तीस आगम के रूप में उपलब्ध है। जिसका अर्वाचीन वर्गीकरण .- १. अंग सूत्र २. उपांग सूत्र ३. मूल सूत्र ४. छेद सूत्र ५... आवश्यक सूत्र के रूप में मिलता है। अंग सूत्र उपांग सूत्र मूल सूत्र छेद सूत्र आवश्यक सूत्र ११ १२ ४ ४
१ प्रस्तुत "नंदी सूत्र" मूल सूत्र में आता है। मूल यानी बुनियाद। स्थानांग सूत्र में धर्म के दो भेद बताये हैं "दुविहे धम्मे पन्नत्ते तंजहा - सुयधम्मे चेव, चरित्त धम्मे चेव" अर्थात् श्रुतधर्म और चारित्र धर्म। ये दोनों धर्म मोक्ष रूपी रथ के चक्र हैं। श्रुतधर्म से धर्म का सही स्वरूप समझा जाता है। इसलिए चारित्र से पहले उसका उल्लेख किया गया है। यहाँ हम चारित्र धर्म का विश्लेषण न कर 'श्रुतधर्म' का चिंतन करेंगे। क्योंकि नंदी सूत्र का प्रधान विषय "पांच. ज्ञान" का है। इसमें पांच ज्ञानों की विशद् व्याख्या-विवेचन किया गया है।
श्रुतधर्म पर चिंतन करने से पूर्व श्रुतशब्द को जानना आवश्यक है। सामान्यतः श्रुत का अर्थ है सुनना। "श्रुत शब्द" शब्द सनुने रूप अर्थ का मुख्य रूप से प्रतिपादक होने पर भी वह ज्ञान विशेष में रूढ़ है। केवल कानों से सुना शब्द ही श्रुत नहीं है। बल्किं जैन दर्शन को "श्रुत" शब्द से ज्ञान अर्थ ही इष्ट है। विस्तार में न जाकर संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि श्रुतज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम होने पर मन और इन्द्रिय की सहायता से अपने नियत अर्थ को प्रतिपादन करने में समर्थ ज्ञान "श्रुत ज्ञान" है।
श्रुत धर्म के भी दो प्रकार हैं - सूत्र रूप श्रुतधर्म और अर्थ रूप श्रुत धर्म। अनुयोग द्वार सूत्र में श्रुत के द्रव्य श्रुत और भाव श्रुत ये दो प्रकार बताये हैं। जो पत्र या पुस्तक पर लिखा हुआ है वह द्रव्यश्रुत है और जिसे पढ़ने पर साधक उपयोग युक्त होता है वह भावश्रुत है।
नंदी सूत्र में श्रुत के दो प्रकार बताये हैं - सम्यक्श्रुत और मिथ्याश्रुत। इसमें सम्यक्श्रुत और मिथ्याश्रुत की सूची भी दी है और अन्त में स्पष्ट रूप में लिखा है - सम्यक् श्रुत कहलाने
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