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मति ज्ञान - वृद्ध की सलाह
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की बड़ी प्रशंसा की। दूसरे से कहा-"वत्स! इसमें मेरा दोष नहीं है। यह तेरा ही दोष है जो तू विनयपूर्वक विचार नहीं करता। मैं तो शास्त्र समझाने का अधिकारी हूँ और सभी शिष्यों को समान रूप से पढ़ाता हूँ। इसके बाद उस पर विनयपूर्वक विचार-विमर्श तुम्हारा काम है। विनयपूर्वक विचार-विमर्श करने से ज्ञान का विकास एवं प्रसार होता है।" . विनयी शिष्य के निमित्त के विषय में यह वैनेयिकी बुद्धि थी।
२. अत्थसत्थे - अर्थशास्त्र के विषय में कल्पक मन्त्री का दृष्टांत है। ३. लेहे - लिपि ज्ञान में कुशलता होना भी वैनेयिकी बुद्धि है। ४. गणिए - गणित ज्ञान में कुशलता होना भी वैनेयिकी बुद्धि है।
५. कूप खनन किसी गांव में एक किसान रहता था। गुरु कृपा से वह भूगर्भ विज्ञान में बड़ा कुशल था। एक समय उसने गांव के किसानों को बतलाया कि यहाँ इतना गहरा खोदने पर पानी निकल आयेगा। उसके कथनानुसार लोगों ने उतनी गहरी जमीन खोद डाली, फिर भी पानी नहीं निकला। तब किसान ने उनसे कहा कि इसके पास जरा एड़ी से प्रहार करो। उन्होंने जब एड़ी का प्रहार किया तो तत्काल पानी निकल आया। उस किसान की यह वैनेयिकी बुद्धि थी।
६. घोडे की परख एक समय घोड़े के व्यापारी घोड़े बेचने के लिए द्वारिका में आये। यदुवंशी राजकुमारों ने शरीरादि आकृति वाले बड़े-बड़े घोड़े खरीदे, किन्तु विनयी वसुदेव ने लक्षण सम्पन्न एक दुर्बल घोड़ा लिया। कुछ ही दिनों में वह घोड़ा चाल में इतना तेज हो गया कि सब घोड़ों से आगे रहने लग गया। - लक्षण सम्पन्न घोड़ा चुन कर लेने में वसुदेव की विनयजा बुद्धि थी।
७. वृद्ध की सलाह
(गदहे) __किसी एक राजकुमार को युवावस्था में राज्याधिकार मिला। इसलिए वह सभी कार्यों में युवावस्था को ही समर्थ मानता था। इस कारण उसने अपनी सेना में सभी नौजवानों को भर्ती कर लिया और जो वृद्ध आदमी थे, उन्हें निकाल दिया। कालान्तर में वह सेना लेकर कहीं युद्ध करने
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