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११०
नन्दी सूत्र
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लोग, स्वभाव से ही डरपोक होते हैं। इसलिए हमारा ग्रामीण कुआँ भी डरपोक है। वह अपने जातीय भाई के सिवाय किसी पर विश्वास नहीं करता। इसलिए हमारे कुएं को लेने के लिए किसी शहर के कुएँ को हमारे यहाँ भेज दीजिये। उस पर विश्वास करके वह उसके साथ शहर में चला आयेगा।" गांव वालों की यह बात सुन कर राजा निरुत्तर हो गया। पूछने पर ज्ञात हुआ कि गाँव वालों को यह युक्ति रोहक ने बताई। राजा इससे बहुत खुश हुआ। रोहक की बुद्धि का यह आठवाँ उदाहरण है।
९. वन की दिशा परिवर्तन कुछ दिनों बाद राजा ने गांव के लोगों के पास यह आज्ञा भेजी कि "तुम्हारे गाँव की पूर्व दिशा में एक वनखण्ड (उद्यान) है, उसे पश्चिम में कर दो।" .
राजा की इस आज्ञा को सुन कर लोग फिर चिन्ता में पड़ गये। इस विषय में भी उन्होंने रोहक से पूछा। रोहक ने उन्हें एक युक्ति बताई। उसके अनुसार गांव के लोग उस वनखण्ड के पूर्व की ओर अपने मकान बनवा कर वहाँ रहने लगे। इस प्रकार राजाज्ञा पूरी हुई देखकर राजपुरुषों ने राजा की सेवा में निवेदन किया। राजा ने उनसे पूछा कि "गाँव वालों को यह युक्ति किसने बताई?" राजपुरुषों ने कहा-"रोहक नामक एक बालक ने उन्हें यह युक्ति बताई थी।" यह सुन कर राजा बहुत खुश हुआ। यह रोहक की बुद्धि का नवाँ उदाहरण है। .
१०. खीर बनाना एक समय राजा ने गाँव के लोगों के पास यह आज्ञा भेजी कि "बिना अग्नि के खीर पका कर भेजो।"
- राजा के इस अपूर्व आदेश को सुन कर सभी लोग फिर से चिन्तित हुए। उन्होंने इस विषय में भी रोहक से पूछा। रोहक ने कहा-"पहले चावलों को पानी में खूब अच्छी तरह भिगो दो, फिर उबलते हुए दूध में डाल दो। फिर सूर्य की किरणों से खूब तपे कोयलों पर या पत्थर शिलाक पर चावलों के उस बर्तन को रख दो। इससे खीर पक कर तैयार हो जायेगी।" लोगों ने कथनानुसार कार्य किया। खीर पक कर तैयार हो गई। उसे ले जाकर उन लोगों ने राजा की सेवा में उपस्थित की। राजा ने पूछा-"बिना अग्नि खीर कैसे पकाई?" लोगों ने सारी हकीकत कही। राजा ने पूछा"तुम लोगों को यह तरकीब किसने बताई।" लोगों ने कहा-"रोहक ने हमें यह तरकीब बताई।" यह सुनकर राजा बहुत खुश हुआ। यह रोहक की बुद्धि का दसवाँ उदाहरण है।
.चूने की डलियों पर पानी डालकर उससे उत्पन्न गर्मी से भी पकाई जा सकती है।
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