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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र - द्वितीय श्रुतस्कन्ध සපපපපපපපපපසසසසසසසසසසසසසියපසසසසසසසසසසසසසසසසසසසසසැදු
भावार्थ - विज्जू देवी का वृत्तांत भी इसी प्रकार है। विशेष बात यह है कि आमलकल्पा नगरी में विजू नामक गाथापति था। उसकी पत्नी का नाम विजूश्री था। पुत्री का नाम विजू था। अवशिष्ट समस्त वृत्तांत पूर्ववत् है।
॥ चतुर्थ अध्ययन समाप्त॥ मेहा णामं पंचमं अज्झयणं मेहा नामक पंचम अध्ययन
सूत्र-४३ एवं मेहा वि आमलकप्पाए णयरीए मेहे गाहावई मेहसिरी. भारिया मेहा दारिया सेसं तहेव।
भावार्थ - मेहा देवी का वृत्तांत भी इसी प्रकार है। विशेष बात यह है कि आमलकल्पा नगरी में मेह नामक गाथापति था। उसकी पत्नी का नाम मेहाश्री था। पुत्री का नाम मेहा था। शेष वर्णन पूर्ववत् ज्ञातव्य है।
॥ पांचवां अध्ययन समाप्त।
सूत्र-४४ एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते।
भावार्थ - श्री सुधर्मा स्वामी ने कहा - हे जंबू! श्रमण यावत् सिद्धि प्राप्त भगवान् महावीर स्वामी ने धर्मकथा के प्रथम वर्ग का यह अर्थ प्रज्ञप्त किया है।
॥ प्रथम वर्ग समाप्त॥
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