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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
शब्दार्थ - आहुणिजमाणी - डगमगाती हुई, आयष्टिजमाणी - बार-बार चक्राकार घूमती हुई, कोट्टिमंसि - प्रांगण में, तिंदूसए - गेंद, ओवयमाणीए - नीचे गिरती हुई, उप्पयमाणी - ऊपर उछलती हुई, सिद्धविजा - विद्या सिद्ध की हुई, ओवयमाणी - ऊपर उठती हुई, भट्ठविजा - विद्या से भ्रष्ट, विपलायमाणी - पलायन करती हुई-भागती हुई, वित्तासिया - भयभीत, भुयगवरकण्णगा - नाग कन्या, आसकिसोरी - युवा घोड़ी, णिगुंजमाणी - णिगुंजती-अव्यक्त शब्द करती हुई, दिट्ठावराहा - जिसका अपराध देख लिया गया हो, वीचीपहार - तरंगों के प्रहार से, तालिया - ताड़ित, गलिय - गलित-नष्ट, सलिलगंठिविप्पडरमाण - जल से आर्द्र संधियों से टपकता हआ जल, घोरंसुवाएहिं - दुःख पूर्वक गिरते हुए आंसुओं द्वारा, उवरयभत्तुया - भृतपतिका-जिसका पति मर गया हो, परचक्करायाभिरोहिया - दूसरे राज्य के राजा द्वारा घेरी हुई, महन्भयाभिया - अत्यंत भय जनित कोलाहल से परिव्याप्त, महापुरवरी - बड़ी सुंदर नगरी, कवडच्छोमप्पओगजुत्ता - कपट, प्रवंचनापूर्ण प्रयोग युक्त, जोगपरिव्वाइया - योग साधनारत संन्यासिनी, णिसासमाणीलम्बे-लम्बे श्वास लेती हुई, महाकंतार - घोर-वन, विणिग्गय-परिस्संता - चलने से थकी हुई, परिणयवया - परिणत वयस्का-वृद्धावस्था युक्त, सोयमाणी - शोक करती हुई, तवचरणखीण परिभोगा - जिसने तपश्चरण का फल भोग लिया है, चयणकाले - देवायुष्य पूर्ण होने पर स्वर्ग से च्युत होने के समय में, देववरवहू - उत्तम देवाङ्गना, संचुण्णियकट्ठकूवराजिसके काष्ठ कूवर-काठ के बने मुख ध्वस्त हो गए थे, भग्गमेढिमोडिय - जिसका मेढी-नीचे का आधार स्तंभ तथा मोडिय-ऊपर का आधारभूत भाग भग्न हो गया था, सूलाइयवंकपरिमासाअग्रभाग के टेढ़े होने से यह शूली पर चढ़ी हुई सी प्रतीत होती थी, फलहंतर - जुड़े हुए काठ के फलक काष्ठपट्ट, संधिवियलंत - जोड़ों के टूट जाने से, सव्वंगवियंभिया - समस्त छिन्नभिन्न अंगों वाली, परिसडियरज्जु - जिसकी रस्सियाँ गल गई थीं, आमगमल्लगभूया - मिट्टी के कच्चे शिकोरे के समान, गुरुई - भारी, तिप्पमाणेहिं - आंसू बहाते हुए, वलय - काष्ठ खंड, करकरस्स - कड़-कड़ शोर करती हुई, विद्दवं - विलयं-डूब गई।
.. भावार्थ - उस आकस्मिक तूफान से वह नौका डुगमगाने लगी। इधर-उधर चलित, संक्षुभित होने लगी। डूबने-उतराने लगी। पानी के तीव्र वेग से बार-बार आवर्तित होने लगी। हाथ से पक्के चक्र पर गिराई हुई गेंद की तरह ऊपर-नीचे उछलने लगी। जिसने विद्या सिद्ध की है, ऐसी विद्याधर, कन्या की तरह वह तल से ऊपर जाने लगी। जिसकी विद्या भ्रष्ट हो गई हो उस विद्याधर कन्या की
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