SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ माकन्दी नामक नववां अध्ययन - विकराल तूफान SacaCcccccccOCEROCCORRECECEBOCERODDOGGEEEEEECRes शब्दार्थ - अकाले गजियं - असमय में उठे हुए तूफान-गर्जना। भावार्थ - अकाल में गर्जना, बिजली चमकना, बादलों की गड़गड़ाहट आदि के रूप में वे उत्पाद उठते गए। (१०) तए णं सा णावा तेणं कालियवाएणं आहुणिजमाणी २ संचालिजमाणी २ संखोभिजमाणी २ सलिलतिक्खवेगेहिं आयट्टिजमाणी २ कोट्टिमंसि करतलाहए विव तिंदूसए तत्थेव २ ओवयमाणी य उप्पयमाणी य उप्पयमाणीविव धरणीयलाओ सिद्धविजा विजाहरकण्णगा ओवयमाणी विव गगणतलाओ भट्ठविज्जा विजाहरकण्णगा विपलायमाणी विव महागरुलवेग वित्तासिया भुयगवरकण्णगा धावमाणी विव महाजणरसियसहवित्तत्था ठाणभट्ठा आसकिसोरी णिगुंजमाणी विवगुरुजणदिट्ठावराहा सुयणकुल कण्णगा घुम्ममाणी विव वीचीपहार सयतालिया गलियलंबणा विव गगणतलाओ रोयमाणी विव सलिलगंठिविप्पइरमाण घोरं सुवाएहिं णववहू उवरयभत्तुया विलवमाणी विव पर चक्करायाभिरोहिया परममहब्भयाभिद्या महापुरवरी झायमाणी विव कवडच्छोम(ण)पओगजुत्ता जोगपरिव्वाइया णिसासमाणी विव महाकंतार विणिग्गयपरिस्संता परिणयवया अम्मया सोयमाणी विव तवचरण खीणपरिभोगा चयणकाले देववर वहू, संचुण्णिय कट्ठकूवरा भग्गमेढिमोडियसहस्समाला सूलाइयवंक परिमासा फलहंतरतडतडेंतफुटुंत संधि वियलंतलोहकीलिया सव्वंगवियंभिया परिसडिय रजु विसरंत सव्वगत्ता आमगमल्लगभूया अकयपुण्णजणमणोरहो विव चिंतिजमाणगुरुई हाहाकयकण्णधारणा वियवाणियगजण कम्मगार विलविया णाणाविहरयण पणिय संपुण्णा बहूहिं पुरिस सएहिं रोयमाणेहि कंदमाणेहिं सोयमाणेहिं तिप्पमाणेहिं विलवमाणेहिं एगं महं अंतोजलगयं गिरिसिहरमासायइत्ता संभग्गकूवतोरणा मोडियझय दंडा वलयसयखंडिया करकरस्स तत्थेव विहवं उवगया। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004197
Book TitleGnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy