________________
सुसुमा नामक अट्ठारहवां अध्ययन आरक्षीजनों से शिकायत
*************▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪--------❤❤:
-
भावार्थ - देवानुप्रियो ! मैं चिलात नामक चोर सेनापति अपने पाँच सौ चोरों के साथ सिंह गुफा - चोरपल्ली से यहाँ आया हूँ। मैं धन्य सार्थवाह के घर को लूटना चाहता हूँ। इसलिए यदि कोई नई माता का दूध पीना चाहता हो मरना चाहता हो तो वह बाहर निकले। ऐसा कर वह धन्य सार्थवाह के घर आया और उसे खोला ।
धन दौलत के साथ सुसमा का अपहरण
२८५
(२५)
तए णं से धणे चिलाएणं चोरसेणावइणा पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं हिं घाइज्जमाणं पासइ २ त्ता भीए तत्थे ४ पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं एगंतं अवकम । तए णं से चिलाए चोरसेणावई धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहं घाएइ २ त्ता सुबहु धणकणग जाव सावएज्जं सुंसुमं च दारियं गेण्हइ २ त्ता रायगिहाओ पडिणिक्खमइ २ त्ता जेणेव सीहगुहा तेणेव पहारेत्थ गमणाए ।
शब्दार्थ - सावएजं - धन-दौलत ।
भावार्थ - धन्य सार्थवाह ने जब चोर नायक चिलात द्वारा अपने घर को लूटते हुए देखा तो वह बहुत ही भयभीत और त्रस्त हुआ । अपने पाँचों पुत्रों के साथ भागकर एकांत स्थान में छिप गया। चोर सेनापति चिलात ने धन्य सार्थवाह के घर को खूब लूटा । बहुत से स्वर्ण यावत् धन-दौलत तथा श्रेष्ठि कन्या सुंसुमा को उठा लिया एवं राजगृह नगर से निकलकर वापस सिंहगुफा - चोरपल्ली की ओर चल पड़ा।
आरक्षीजनों से शिकायत .
Jain Education International
(२६)
तए णं से धणे सत्थवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सुबहु धणकणगं सुसुमं च दारियं अवहरियं जाणित्ता महत्थं ३ पाहुडं गहाय जेणेव गुत्तिया तेणेव उवागच्छड़ २ त्ता तं गहत्थं पाहुडं जाव उवणे (न्ति ) इ २ ता एवं वा एवं खलु देवाणुप्पिया! चिलाए चोर सेणावई सीहगुहाओ चोरपल्लीओ इहं हव्वमागम्म पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं मम गिहं घाएत्ता सुबहु
-
For Personal & Private Use Only
www.jalnelibrary.org