________________
अपरकंका नामक सोलहवां अध्ययन - कृष्ण द्वारा मान-मर्दन
२२६ accccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccx
शब्दार्थ - तणसोल्लिय - मल्लिका, सिंदुवार - निर्गुण्डी का पुष्प।
भावार्थ - कृष्ण वासुदेव ने पाँचों पांडवों से यों कहा-देवानुप्रियो! यदि तुम उसको ललकारते 'हम ही होंगे, राजा पद्मनाभ नहीं होगा।' इस प्रकार कहकर युद्ध में संलग्न होते तो पद्मनाभ राजा न तुम्हारे अश्वों को आहत कर पाता और न ध्वज पताका को निपतित ही कर पाता।
देवानुप्रियो! अब तुम देखो, मैं ही रहूंगा, राजा पद्मनाभ नहीं रहेगा। यों ललकारते हुए मैं पद्मनाभ से युद्ध करने जा रहा हूँ। यों कहकर वासुदेव युद्ध हेतु वहाँ पहुँचे जहाँ राजा पद्मनाभ था। गाय के दूध, मोतियों का हार, मल्लिका, निर्गुण्डी, कुंद पुष्प एवं चंद्र के समान श्वेत, अपनी सेना के लिए हर्षोत्पादक, शत्रु सेना के लिए विनाश सूचक, अपने पांचजन्य शंख को हाथ में लिया और मुखवायु से उसे आपूरित किया - बजाया।
कृष्ण द्वारा मान-मर्दन
(१८८) .. तए णं तस्स पउमणाहस्स तेणं संखसद्देणं बलतिभाए हए जाव पडिसेहिए। तए णं से कण्हे वासुदेवे धणुं परामुसइ वेढो धणुं पूरेइ २ त्ता धणुसहं करेइ। तए णं तस्स पउमणाभस्स दोच्चे बलतिभाए तेणं धणुसद्देणं हयमहिय जाव पडिसेहिए। तए णं से पउमणाभे राया तिभाग-बलावसेसे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कम्मे अधारणिजमित्तिक? सिग्धं तुरियं जेणेव अवरकंका तेणेव उवागच्छइ २ त्ता अवरकंकं रायहाणिं अणुपविसइ २ ता दाराई पिहेइ २ त्ता रोहसज्जे चिट्ठइ। ___ शब्दार्थ - वेढो - वेष्टक-किसी विषय से संबद्ध वचन पद्धति, बलतिभाए - सेना का तृतीय भाग, पूरेइ - प्रत्यंचा चढ़ाई, रोहसज्जे - नगर रक्षार्थ सज्जित होकर।
भावार्थ - पांचजन्य शंख की ध्वनि सुनते ही पद्मनाभ की सेना का तिहाई भाग घबराकर भाग छूटा। तब कृष्ण वासुदेव ने अपना धनुष उठाया। धनुष का वर्णन जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति से यहाँ योजनीय है। फिर धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई-टंकार किया। तब राजा पद्मनाभ की सेना का दूसरा तिहाई भाग मथित, उद्विग्न होकर भाग गया।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org