________________
१०४
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
(२४) तए णं कणगरहे राया तीसे मएल्लियाए दारियाए णीहरणं करेइ बहू(णि)ई लोइयाई मयकिच्चाई करेइ २ कालेणं विगयसोए जाए।
शब्दार्थ - मएल्लियाए - मरी हुई, णीहरणं - निष्कासन-अंतिम संस्कार।
भावार्थ - राजा कनकरथ ने उस कन्या को श्मशान में ले जाकर अन्तिम संस्कार किया एवं मरणोपरांत किए जाने वाले लौकिक कृत्य किए। बीतते समय के साथ राजा विगत शोक हो गया। अमात्य द्वारा पुत्र जन्मोत्सव
(२५) तए णं से तेयलिपुत्ते कल्ले कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ ता एवं वयासी - खिप्पामेव चारगसोहणं जाव ठिइपडियं जम्हा णं अम्हं एस दारए कणगरहस्स रज्जे जाए तं होउ णं दारए णामेणं कणगज्झए जाव अलं भोगसमत्थे जाए।
शब्दार्थ - चारगसोहणं - कारागार से कैदियों की मुक्ति, ठिइवडियं - स्थितिपतितांकुल मर्यादानुरूप जन्मोत्सव।
भावार्थ - तेतलीपुत्र ने अगले दिन कौटुंबिक पुरुषों को बुलाया और कहा - देवानुप्रियो! कारागृह से बंदीजनों को अविलंब मुक्त करवाओ यावत् हमारी कुल मर्यादानुरूप दस दिवसीय पुत्र जन्मोत्सव आयोजित करने की व्यवस्था करो। ऐसा कर मुझे सूचित करो। मेरा यह पुत्र राजा कनकरथ के राज्य में उत्पन्न हुआ है, इसलिए यह पुत्र कनकध्वज नाम से पुकारा जाय यावत् क्रमशः वह शिशु युवा हुआ, सांसारिक सुखभोग में समर्थ हुआ।
पोडिला से विरक्ति
तए णं सा पोटिला अण्णया कयाइ तेयलिपुत्तस्स अणिट्ठा ६ जाया यावि होत्था णेच्छइ (य) णं तेयलिपुत्ते पोट्टिलाए णामगोत्तमवि सवणयाए किंपुण दं(दरि)सणं वा परिभोग वा? तए णं तीसे पोट्टिलाए अण्णया कयाइ पुव्वरत्ता
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org