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प्रथम अध्ययन स्वप्न पाठकों द्वारा फलादेश
भावार्थ जब वासुदेव गर्भ में आते हैं तो उनकी माताएं इन चतुर्दश महास्वप्नों में से कोई सात महास्वप्न देख कर प्रतिबुद्ध (जागृत) होती है। जब बलदेव गर्भ में आते हैं, तब उनकी माताएं इनमें से कोई चार महास्वप्न देख कर प्रतिबुद्ध होती है । इसी प्रकार जब माण्डलिक राजा गर्भ में आते हैं, तब उनकी माताएं इनमें से कोई एक महास्वप्न देख कर प्रतिबुद्ध होती है।
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(३८)
इमे य (णं) सामी! धारिणीए देवीए एगे महासुमिणे दिट्ठे । तं उरालेण सामी ! धारिणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे जाव आरोग्ग-तुट्ठि - दीहाउ - कल्लाणमंगल्ल - कारए णं सामी ! धारिणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे । अत्थलाभो सामी ! • सोक्खलामो सामी ! भोगलाभो सामी ! पुत्त लाभो रज्जलाभो, एवं खलु सामी ! धारिणी देवी णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव दारगं पयाहि । से विय य णं दारए उम्मुक्क-बालभावे विण्णाय-परिणयमित्ते जोव्वणग-मणुप्पत्ते सूरे वीरे विक्कंते वित्थिण्ण- विउल-बल-वाहणे रज्जवई राया भविस्सइ अणगारे वा भावियप्पा, तं उराले णं सामी ! धारिणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे जाव आरोग्ग तुट्ठ जाव दिट्ठे त्तिकट्टु भुज्जो भुजो अणुवूर्हेति ।
शब्दार्थ - णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं - नौ महीनों के पूर्ण हो जाने पर, उम्मुक्क बालभावे बाल्यावस्था व्यतीत होने पर, विण्णाय-परिणयमित्ते विज्ञात परिणत मात्रयौवन रूप अवस्थान्तर का अनुभव कर युवा होकर, जोव्वणगं - यौवन, अणुप्पत्ते कर, विक्कंते - विक्रांत - अत्यधिक पराक्रमी, विउल भावितात्म आत्मा को संयम से भावित करने वाला ।
प्राप्त
विपुल - विशाल, भावियप्पा
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भावार्थ - स्वामिन्! राजमहिषी धारिणी देवी ने एक महास्वप्न देखा है। वह स्वप्न आरोग्य, तुष्टि, दीर्घायुष्य एवं कल्याणकारक है। वह अर्थ, सौख्य, भोग, पुत्र एवं राज्य लाभ का सूचक है। स्वामिन्! धारिणी देवी नौ महीनों के पूर्ण होने पर पुत्र को जन्म देगी। वह पुत्र बाल्यावस्था पार कर क्रमशः युवा होगा, बड़ा ही शूरवीर पराक्रमी एवं विशाल सेना, वाहन, राज्य आदि का अधिपति होगा । अथवा वह अणगार - गृहत्यागी, सर्वस्व त्यागी साधु होगा । यों कहकर उन्होंने रानी धारिणी के इस शुभ स्वप्न की पुनः पुनः प्रशंसा की ।
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