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________________ मल्ली नामक आठवां अध्ययन - - मल्ली द्वारा प्रतिबोध (१५५) तए णं से वेसमणे देवे सक्केणं देविंदेणं • एवं वुत्ते समाणे हट्ठे० करयल जाव पडणे २ त्ता जंभए देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवं २ भारहं वासं मिहिलं रायहाणिं कुंभगस्स रण्णो भवणंसि तिण्णेव य कोडिसया अट्ठासीयं च कोडीओ असियं च सयसहस्साइं अयमेयारूवं अत्थसंपयाणं साहरह २ त्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । Jain Education International भावार्थ देवेन्द्र देवराज शक्र द्वारा यों कहे जाने पर वैश्रमण देव बहुत हर्षित और परितुष्ट हुआ। हाथ जोड़ कर यावत् मस्तक झुकाकर शक्रेन्द्र का आदेश स्वीकार किया। जृंभक देवों को बुलाया और उनसे कहा- देवानुप्रियो ! तुम जंबूद्वीप के अंतर्गत, भारत वर्ष में, मिथिला राजधानी में, कुंभ राजा के महल में, तीन सौ अट्ठासी करोड़ अस्सी लाख स्वर्णमुद्राएँ पहुँचाओं। वैसा कर मुझे सूचित करो। ४१६ (१५६) तए णं ते जंभगा देवा वेसमणेण जाव सुणेत्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमंति जाव उत्तरवेउव्वियाइं रूवाइं विउव्वंति ता ता उविकट्ठाए जाव वीइवयमाणा जेणेव जंबुद्दीवे २ भारहेवासे जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुंभगस्स रण्णो भवणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता कुंभगस्स रण्णो भवणंसि तिण्णि कोडिसया जाव साहरंति २ त्ता जेणेव वेसमणे देवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव पच्चप्पिणंति । भावार्थ - तदनंतर वैश्रमण द्वारा यों आज्ञा दिए जाने पर जंभृक देव यावत् आदेश को स्वीकार कर उत्तरपूर्व दिशा भाग-ईशान कोण में गए। उत्तरवैक्रिय समुद्घात द्वारा उत्तर वैक्रिय रूप की विकुर्वणा की । दिव्य, उत्कृष्ट गति से चलते हुए वे जम्बूद्वीप के अंतर्गत, भारत देश में, मिथिला नगरी में, जहाँ राजा कुंभ का भवन था, वहाँ आए। वहाँ तीन सौ अट्ठासी करोड़ अस्सी लाख स्वर्णमुद्राएँ पहुँचाई। फिर वापस वैश्रमण देव के पास आए। हाथ जोड़ कर मस्तक नवाकर निवेदित किया-आपकी आज्ञानुरूप कार्य कर आए हैं। For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004196
Book TitleGnata Dharmkathanga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size9 MB
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