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जीवाजीवाभिगम सूत्र
भगवन् ! क्या ऐसा काला रंग उन तृणों और मणियों का होता है ? हे गौतम! ऐसा अर्थ समर्थ नहीं है। इनसे अधिक इष्ट, कांत, प्रिय, मनोज्ञ और मनोहर उनका वर्ण होता है।
तत्थ णं जे ते णीलगा तणा य मणी य तेसि णं इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, से जहाणामए-भिंगेइ वा भिंगपत्तेइ वा चासेइ वा चासपिच्छेइ वा सुएइ वा सुयपिच्छेइ वा णीलीइ वा णीलीभेएइ वा णीलीगुलियाइ वा सामाएइ वा उच्चंतएइ वा वणराईइ वा हलहरवसणेइ वा मोरग्गीवाइ वा पारेक्यगीवाइ वा अयसिकुसुमेइ वा अंजणकेसिगाकुसुमेइ वा णीलुप्पलेइ वा णीलासोएइ वा णीलकणवीरेइ वा णीलबंधुजीवएइ वा, भवे एयारूवे सिया? __णो इणटे समटे, तेसि णं णीलगाणं तणाणं मणीण य एत्तो इद्रुतराए चेव कंततराए चेव जाव वण्णेणं पण्णत्ते।
भावार्थ - उन तृणों और मणियों में जो नीली मणियां और तृण हैं उनका वर्ण इस प्रकार कहा गया है - जैसे नीला भंग-भिंगोडी-पंखवाला छोटा जंतु-नीला भंवरा हो, नीले भ्रंग का पंख हो, चास (पक्षी विशेष) हो, चास का पंख हो, नीले वर्ण का तोता हो, तोते का पंख हो, नील हो, नील खण्ड हो, नील की गुटिका हो, श्यामक (धान्य विशेष) हो, नीला दंतराग हो, नीली वन राजि हो, बलदेव का नीला वस्त्र हो, मयूर की ग्रीवा हो, कबूतर की ग्रीवा हो, अलसी का फूल हो, अंजन केशिका वनस्पति का फूल हो, नील कमल हो, नीला अशोक हो, नीला कनेर हो, नीला बंधु जीवक हो। हे भगवन्! क्या ऐसा नीला वर्ण उन तृण और मणियों का होता है ? हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है। इनसे भी अधिक इष्ट, कांत, प्रिय, मनोज्ञ और मनोहर उनका वर्ण होता है।
तत्थ णं जे ते लोहियगा तणा य मणी य तेसि णं अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, से जहाणामए-ससगरुहिरेइ वा उरब्भरुहिरेइ वा णररुहिरेइ वा वराहरुहिरेइ वा महिसरुहिरेइ वा बालिंदगोवएइ वा बालदिवागरेइ वा संझब्भरागेइ वा गुंजद्धराएइ वा जाइहिंगुलुएइ वा सिलप्पवालेइ वा पवालंकुरेइ वा लोहियक्खमणीइ वा लक्खारसएइ वा किमिरागेइ वा रत्तकंबलेइ वा चीणपिट्ठरासीइ वा जासुमणकुसुमेइ वा किंसुयकुसुमेइ वा पालियायकुसुमेइ वा रत्तुप्पलेइ वा रत्तासोगेइ वा रत्तकणवीरेइ वा रत्तबंधुजीवेइ वा, भवे एयारूवे सिया?
णो इणटे समढे, तेसि णं लोहियगाणं तणाण य मणीण य एत्तो इद्रुतराए चेव जाव वण्णेणं पण्णत्ते।
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