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________________ ४०० जीवाजीवाभिगम सूत्र . तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयसिद्धा अपढमसमयसिद्धा अणंतगुणा। एएसि णं भंते! पढमसमयणेरइयाणं अपढमसमयणेरइयाणं पढमसमय तिरिक्खजोणियाणं अपढमसमय तिरिक्खजोणियाणं पढम समयमणूसाणं अपढमसमय मणूसाणं पढमसमय देवाणं अपढम समय देवाणं पढम समयसिद्धाणं अपढमसमयसिद्धाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमय सिद्धा पढमसमय मणूसा असंखेजगुणा अपढम समय मणूसा असंखेजगुणा पढमसमयणेरइया असंखेजगुणा पढमसमय देवा असंखेज्जगुणा पढमसमय तिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा अपढमसमय णेरइया असंखेजगुणा अपढमसमय देवा असंखेजगुणा अपढमसमय सिद्धा अणंतगुणा अपढमसमय तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। सेत्तं दसविहा सव्वजीवा पण्णत्ता॥ सेत्तं सव्वजीवाभिगमे ॥ २७२॥ ॥णवमा सव्वजीवदसविहपडिवत्ती समत्ता॥ ॥जीवाजीवाभिगमसुत्तं समत्तं॥ भावार्थ - अथवा सर्व जीव दस प्रकार के कहे गये हैं, वे इस प्रकार हैं - १. प्रथम समय नैरयिक २. अप्रथम समय नैरयिक ३. प्रथम समय तिर्यंच ४. अप्रथम समय तिर्यंच ५. प्रथम समय मनुष्य ६. अप्रथम समय मनुष्य ७. प्रथम समय देव ८. अप्रथम समय देव ९. प्रथम समय सिद्ध और १०. अप्रथम समय सिद्ध। प्रश्न - हे भगवन्! प्रथम समय नैरयिक, प्रथम समय नैरयिक के रूप में कितने काल तक रह सकता है? उत्तर - हे गौतम! प्रथम समय नैरयिक, प्रथम समय नैरयिक के रूप में एक समय तक रह सकता है। प्रश्न - हे भगवन्! अप्रथम समय नैरयिक, अप्रथम समय नैरयिक रूप में कितने काल तक रहता है? उत्तर - हे गौतम! जघन्य एक समय कम दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट एक समय कम तेतीस सागरोपम तक रहता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004195
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2003
Total Pages422
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size9 MB
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