SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 342
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंचम प्रतिपत्ति - अल्पबहुत्व ३२५ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन सूक्ष्म, बादर, पर्याप्तक और अपर्याप्तक निगोदों में और सूक्ष्म बादर, पर्याप्तक और अपर्याप्तक निगोद जीवों में द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेश की अपेक्षा से और द्रव्यप्रदेश की अपेक्षा से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? उत्तर - हे गौतम! द्रव्य की अपेक्षा से - सबसे थोड़े बादर निगोद पर्याप्तक, उनसे बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणा, उनसे सूक्ष्म निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणा उनसे सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक संख्यातगुणा, उनसे बादर निगोद जीव पर्याप्तक अनंतगणा. उनसे बादर निगोद जीव अपर्याप्तक असंख्यातगुणा, उनसे सूक्ष्म निगोद जीव अपर्याप्तक असंख्यातगुणा, उनसे सूक्ष्म निगोद जीव पर्याप्तक संख्यातगुणा। __प्रदेश की अपेक्षा से - सबसे थोड़े बादर निगोदजीव पर्याप्तक, उनसे बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणा, उनसे सूक्ष्म निगोद जीव अपर्याप्तक असंख्यातगुणा, उनसे सूक्ष्म निगोद जीव पर्याप्तक संख्यातगुणा, उनसे बादर निगोद पर्याप्तक अनंतगुणा, उनसे बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणा, उनसे सूक्ष्म निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणा, उसने सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक संख्यातगुणा। . द्रव्य-प्रदेश की अपेक्षा से - सबसे थोड़े बादर निगोद पर्याप्तक द्रव्य की अपेक्षा, उनसे बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणा द्रव्य की अपेक्षा, उनसे सूक्ष्म निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणा द्रव्य की अपेक्षा, उनसे सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक संख्यातगुणा द्रव्य की अपेक्षा, उनसे बादर निगोद जीव पर्याप्तकं अनन्तगुणा द्रव्य की अपेक्षा, उनसे बादर निगोद जीव अपर्याप्तक असंख्यातगुणा द्रव्य की अपेक्षा, उनसे सूक्ष्म निगोद जीव अपर्याप्तक असंख्यातगुणा द्रव्य की अपेक्षा, उनसे सूक्ष्म निगोद जीव पर्याप्तक संख्यातगुणा द्रव्य की अपेक्षा, उनसे बादर निगोद जीव पर्याप्तक असंख्यातगुणा प्रदेश की अपेक्षा, उनसे बादर निगोद जीव अपर्याप्तक असंख्यातगुणा प्रदेश की अपेक्षा, उनसे सूक्ष्म निगोद जीव अपर्याप्तक असंख्यातगुणा प्रदेश की अपेक्षा, उनसे सूक्ष्म निगोद जीव पर्याप्तक संख्यातगुणा प्रदेश की अपेक्षा, उनसे बादर निगोद पर्याप्तक अनंतगुणा प्रदेश की अपेक्षा, उनसे बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यात गुणा प्रदेश की अपेक्षा, उनसे सूक्ष्म निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणा. प्रदेश की अपेक्षा, उनसे सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक असंख्यातगुणा प्रदेश की अपेक्षा। ___ इसी प्रकार निगोद और निगोद जीवों का सूक्ष्म, बादर, पर्याप्तक और अपर्याप्तकों का अल्पबहुत्व द्रव्य की अपेक्षा, प्रदेश की अपेक्षा और द्रव्य प्रदेश की अपेक्षा समझ लेना चाहिये। इस प्रकार छह प्रकार के संसार समापनक जीवों की यह पांचवीं प्रतिपत्ति समाप्त हुई। विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में निगोदों और निगोद जीवों के सूक्ष्म, बादर, पर्याप्तक और अपर्याप्तक का द्रव्य, प्रदेश और द्रव्य-प्रदेश की अपेक्षा अल्प बहुत्व का कथन किया गया है जो भावार्थ से स्पष्ट है। इस प्रकार यह छह प्रकार के संसारी जीवों की पांचवीं प्रतिपत्ति पूर्ण हुई है। ॥ षट् विधाख्या नामक पांचवीं प्रतिपत्ति समाप्त। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004195
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2003
Total Pages422
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy