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तृतीय प्रतिपत्ति - वैमानिक देवों की स्थिति और उद्वर्तना
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उववण्णपुव्वा? हंता गोयमा! असई अदुवा अणंतखुत्तो, सेसेसु कप्पेसु एवं चेव, णवरि णो चेव णं देवित्ताए जाव गेवेजगा, अणुत्तरोववाइएसुवि एवं, णो चेव णं देवत्ताए वा देवित्ताए वा। सेत्तं देवा ॥२२१॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! सौधर्म-ईशान कल्पों में सब प्राण, भूत, जीव और सत्त्व पृथ्वीकाय रूप में (यावत् वनस्पतिकाय के रूप में?) देव के रूप में, देवी के रूप में, आसन, शयन यावत् भण्डोपकरण के रूप में क्या पूर्व में उत्पन्न हो चुके हैं ?
उत्तर - हाँ गौतम! अनेक बार अथवा अनन्त बार उत्पन्न हो चुके हैं। शेष कल्पों में ऐसा ही कहना चाहिए किन्तु देवी के रूप में उत्पन्न होना नहीं कहना चाहिये। ग्रैवेयक विमानों तक ऐसा कह देना चाहिए। अनुत्तरोपपातिक विमानों में पूर्ववत् कह देना चाहिए किन्तु देव रूप और देवी रूप में नहीं कहना चाहिए। इस प्रकार देवों का वर्णन पूरा हुआ।
विवेचन - शंका- प्राण, भूत, जीव और सत्त्व से क्या आशय है ? समाधान- इसके लिए टीकाकार ने निम्न गाथा दी है - प्राणा द्वित्रि चतुः प्रोक्ताः भूताश्च तरवः स्मृताः। जीवा पंचेन्द्रिया ज्ञेयाः शेषाः सत्वा उदीरिता॥
अर्थ - बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चउरिन्द्रिय को 'प्राण', वनस्पति को 'भूत' पंचेन्द्रिय को 'जीव' तथा पृथ्वीकाय, अपकाय, तेउकाय और वायुकाय को 'सत्त्व' कहा जाता है।
.. सौधर्म और ईशानकल्प में सब प्राण, भूत, जीव और सत्त्व पृथ्वी रूप में, देव, देवी और भण्डोंपकरण के रूप में पहले अनेकबार अथवा अनंत बार उत्पन्न हो चुके हैं।
पहले और दूसरे देवलोक से आगे के विमानों में देवियाँ नहीं होने से देवी रूप में उत्पन्न होने की निषेध किया है। अनुत्तर विमानों में देवरूप में और देवी रूप में उत्पन्न होने का निषेध किया गया है क्योंकि देवियाँ तो वहाँ होती नहीं और देव भी विजय आदि चार विमानों में उत्कृष्ट दो बार तथा सर्वार्थसिद्ध विमान में केवल एक बार ही जा सकता है, अनन्तबार नहीं। .. शंका - कुछ प्रतियों में 'पुढविकाइयत्ताए' के स्थान पर 'पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए' पाठ भी दिया गया है, इसका क्या कारण है ?
समाधान - टीकाकार ने 'जाव वणस्सइकाइयत्ताए' पाठ को कई प्रतियों में होने पर भी उसे उचित नहीं माना है इसका कारण उन्होंने वहाँ तेजस्काय नहीं होना बताया है। यदि सूक्ष्म पांच स्थावर जीवों की अपेक्षा समझा जावे तो "जाव वणस्सइकाइयत्ताए" पाठ उचित ही है। टीकाकार के अनुसार
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