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तृतीय प्रतिपत्ति - देवों का वर्णन
३४ लाख, वायुकुमारों के ४६ लाख, शेष ६ द्वीप-दिशा-उदधि-विद्युत्-स्तनित-अग्निकुमारों के प्रत्येक के ३६-३६ लाख भवन हैं।
२. इन्द्रों के नाम - दक्षिण दिशा के भवनपति इन्द्रों के नाम - चमरे धणे तह वेणुदेवे हरिकंत अग्गिसिहे यो पुण्णे जलकंते, अमिए लंबे य घोसे य॥५॥
- दक्षिण दिशा के असुरकुमार देवों का इन्द्र चमर है। नागकुमार देवों का इन्द्र धरण, सुपर्णकुमार देवों का इन्द्र वेणुदेव, विद्युत्कुमार देवों का इन्द्र हरिकांत, अग्निकुमार देवों का इन्द्र अग्निशिख, द्वीपकुमार देवों का इन्द्र पूर्ण, उदधिकुमार देवों का इन्द्र जलकांत, दिशाकुमार देवों का इन्द्र अमितगति, वायुकुमार देवों का इन्द्र वेलम्ब और स्तनितकुमार देवों का इन्द्र घोष है।
उत्तरदिशा के भवनपति देवों के इन्द्रों के नाम - बलि भूयाणंदे वेणुदालि हरिस्सह अग्गिमाणव विसिटे। जलप्पम अमियवाहण पभंजणे चेव महघोसे॥ ६॥
- उत्तर दिशा के असुरकुमारों का इन्द्र बलि, नागकुमारों का भूतानन्द, सुपर्णकुमारों का वेणुदाली, विद्युत्कुमारों का हरिस्सह, अग्निकुमारों का अग्निमाणव, द्वीपकुमारों का विशिष्ट, उदधिकुमारों का जलप्रभ, दिशाकुमारों का अमितवाहन, वायुकुमारों का प्रभंजन और स्तनितकुमारों का इन्द्र महाघोष है। ... ३. सामानिक और आत्मरक्षक देवों की संख्या - दश भवनपति देवों के इन्द्रों के प्रत्येक के सामानिक और आत्मरक्षक देवों की संख्या -
चउसट्ठी सट्ठी खलु छच्च सहस्सा ३ असुरवज्जाणं। सामाणिया 3. एए चउग्गुणा आयरक्खा ॥७॥
- दक्षिण दिशा के असुरकुमारों के इन्द्र चमर के ६४ हजार सामानिक देव हैं, उत्तरदिशा के असुरकुमारों के इन्द्र धरण के ६० हजार सामानिक देव हैं। शेष दक्षिण और उत्तर दिशा के भवनपति देवों के जो धरण और भूतानंद आदि इन्द्र हैं उन सभी के छह छह हजार सामानिक देव हैं। सभी इन्द्रों के सामानिक देवों से चौगुने आत्मरक्षक देव होते हैं। जैसे - चमरेन्द्र के ६४ हजार सामानिक देव हैं तो इनसे चौगुने दो सौ छप्पन हजार-दो लाख छप्पन हजार (२,५६,०००) उनके आत्मरक्षक देव होते हैं। इसी प्रकार बलीन्द्र के ६० हजार सामानिक देव हैं तो इनसे चार गुने अर्थात् दो लाख चालीस हजार आत्मरक्षक देव हैं। शेष दक्षिण और उत्तर दिशाओं के इन्द्रों के प्रत्येक के छह-छह हजार सामानिक देव हैं तो इनसे चौगुना अर्थात् चौबीस चौबीस हजार आत्मरक्षक देव सभी इन्द्रों के होते हैं।
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