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जीवाजीवाभिगम सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
प्रश्न - हे भगवन् ! कोई महर्द्धिक एवं महाप्रभावशाली देव बाह्य पुद्गलों को ग्रहण कर और बाल को पहले छेद भेद कर क्या उसे फिर से सांधने में समर्थ है? ... उत्तर - हाँ गौतम! वह ऐसा करने में समर्थ है। वह ऐसी कुशलता से उसे सांधता है कि उस संधि-ग्रंथि को छद्मस्थ न देख सकता है और न जान सकता है। ऐसी सूक्ष्म ग्रंथि वह होती है।
प्रश्न - हे भगवन्! कोई महर्द्धिक देव बाह्य पुद्गलों को ग्रहण किये बिना पहले बाल को छेदे भेदे बिना क्या उसे बड़ा छोटा करने में समर्थ है ?
उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है (ऐसा नहीं हो सकता है)। इस प्रकार चारों भंग कह देने चाहिये। पहले दूसरे भंगों में बाह्य पुद्गलों का ग्रहण नहीं है और प्रथम भंग में बाल का छेदन भेदन भी नहीं है। दूसरे भंग में छेदन भेदन है। तीसरे भंग में बाह्य पुद्गलों का ग्रहण है और बाल का छेदन भेदन करना नहीं है। चौथे भंग में बाह्य पुद्गलों का ग्रहण भी है और पहले बाल का छेदन भेदन भी है। इस छोटे बड़े करने की सिद्धि को छद्मस्थ नहीं जान सकता और नहीं देख सकता क्योंकि छोटे बड़े करने की यह विधि बहुत सूक्ष्म होती है।
- चन्द्र सूर्य वर्णन अत्थि णं भंते! चंदिमसरियाणं हिट्ठिपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि समंपि तासरूवा अणुंपि तुल्लावि उप्पिंपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि?
हंता अत्थि, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-अत्थि णं चंदिमसूरियाणं जाव उप्पिंपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि?
गोयमा! जहा जहा णं तेसिं देवाणं तवणियमबंभचेरवासाइं ( उक्कडाइं) उस्सियाई भवंति तहा तहा णं तेसिं देवाणं एयं पण्णायइ अणुत्ते वा तुल्लत्ते वा, से एएणटेणं गोयमा!० अत्थि णं चंदिमसूरियाणं० उप्पिंपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि॥१९३॥ ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! चन्द्र और सूर्यों के क्षेत्र की अपेक्षा नीचे रहे हुए जो तारा रूप देव हैं वे क्या हीन भी हैं और बराबर भी हैं ? चन्द्र सूर्यों के क्षेत्र की समश्रेणी में रहे हुए तारा रूप देव चन्द्र सूर्यों से द्युति आदि में हीन भी हैं और बराबर भी हैं ? जो तारा रूप देव चन्द्र और सूर्यों के ऊपर अवस्थित हैं वे क्या हीन भी हैं और बराबर भी हैं ?
उत्तर - हाँ गौतम! तारा रूप देव द्युति, वैभव, लेश्या आदि की अपेक्षा कोई हीन भी हैं और कोई बराबर भी हैं। . प्रश्न - हे भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहा जाता है कि कोई तारा देव हीन भी हैं और कोई तारा देव बराबर भी हैं ?
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