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________________ जीवाजीवाभिगम सूत्र •••••••••••••••••••••••rrrrrrrrrrrrrr........................... उत्तर - हे गौतम! तीन प्रकार के मनुष्य, मनुष्य क्षेत्र में रहते हैं, वे इस प्रकार हैं - १. कर्मभूमिज २. अकर्मभूमिज और ३. अन्तरद्वीपज। इसलिये वह मनुष्य क्षेत्र कहलाता है। प्रश्न - हे भगवन्! मनुष्य क्षेत्र में कितने चन्द्र प्रभासित होते थे, होते हैं और होंगे? कितने सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे आदि प्रश्न। उत्तर - हे गौतम! समय क्षेत्र में १३२ चन्द्र और १३२ सूर्य प्रभासित होते हुए सकल मनुष्य क्षेत्र में विचरण करते हैं। ग्यारह हजार छह सौ सोलह महाग्रह यहां अपनी चाल चलते हैं और तीन हजार छह सौ छियानवै (३६९६) नक्षत्र, चन्द्रादि के साथ योग करते हैं। ____ अठासी लाख, चालीस हजार सात सौ (८८४०७००) कोडाकोडी तारागण मनुष्य लोक में शोभित होते थे, शोभित होते हैं और शोभित होंगे॥ एसो तारापिंडो सव्वसमासेण मणुयलोगंमि। . . बहिया पुण ताराओ जिणेहिं भणिया असंखेज्जा॥१॥ भावार्थ - इस प्रकार मनुष्य लोक में पूर्वोक्त संख्या प्रमाण तारा पिण्ड है। मनुष्य लोक के बाहर जिनेश्वर देवों ने असंख्यात तारा पिण्ड कहे हैं। क्योंकि असंख्यातद्वीप समुद्र होने से उनकी संख्या असंख्यात हैं। एवइयं तारग्गं जं भणियं माणुसंमि लोगंमि। चारं कलंबुयापुप्फसंठियं जोइसं चरइ॥२॥ कठिन शब्दार्थ - कलंबुया पुष्फसंठियं - कदम्ब के फूल के आकार के-नीचे संक्षिप्त ऊपर विस्तृत उत्तानीकृत अर्द्ध कबीठ के आकार के __ भावार्थ - इस प्रकार तीर्थंकरों ने इस मनुष्य लोक में तारागणों (उपलक्षण से सूर्य आदि का) का जो परिमाण कहा है वे सब ज्योतिषी देवों के विमान रूप है और इनका संस्थान कदम्ब पुष्प जैसा है। तथाविध जगत् स्वभाव से ये गतिशील हैं। रवि-ससि-गह-णक्खत्ता एवइया आहिया मणुयलोए। जेसिंणामागोयं ण पागया पण्णवेहिति॥३॥ कठिन शब्दार्थ - पागया - प्राकृता:-वैशिष्ट्य हीना:-सामान्य व्यक्ति (मूर्खजन), पण्णवेहिंतिप्रज्ञापयिष्यन्ति-कथन करते हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004195
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2003
Total Pages422
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size9 MB
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