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जीवाजीवाभिगम सूत्र
प्रश्न - हे भगवन्! आभ्यंतर पुष्करार्द्ध का चक्रवाल विष्कम्भ कितना है और उसकी परिधि कितनी है ?
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उत्तर - हे गौतम! आभ्यंतर पुष्करार्द्ध का चक्रवाल विष्कम्भ आठ लाख योजन का है और उसकी परिधि एक करोड़ बयालीस लाख तीस हजार दो सौ उनपचास (१,४२,३०, २४९) योजन की है। मनुष्य क्षेत्र की परिधि भी यही है।
सेकेणणं भंते! एवं वुच्चइ- अब्धिंतरपुक्खरद्धे २ ? गोयमा ! अब्धिंतरपुक्खरद्धे णं माणुसुत्तरेणं पव्वएणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते से एएणट्टेणं गोयमा !० अब्धिंतरपुक्खरद्धे २, अदुत्तरं च णं जाव णिच्चे ॥
अतरपुक्खरद्धे णं भंते! केवइया चंदा पभासिंसु वा ३ सा चैव पुच्छा जाव तारागणकोडिकोडीओ० ?,
गोयमा !
बावन्तरि च चंदा बावत्तरिमेव दिणयरा दित्ता । पुक्खरवरदीवड्ढे चरंति एए पभासेंता ॥ १ ॥ तिणि सया छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु । क्खाणं तु भवे सोलाई दुवे सहस्साइं ॥ २ ॥
अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साइं ।
दोण्णि सय पुक्खरद्धे तारागणकोडिकोडीणं ॥ ३ ॥ सोधेंसु वा ३ ॥ १७६ ॥
भावार्थ प्रश्न हे भगवन्! आभ्यंतर पुष्करार्द्ध, आभ्यंतर पुष्करार्द्ध क्यों कहलाता है ?
उत्तर - हे गौतम! आभ्यंतर पुष्करार्द्ध चारों ओर से मानुषोत्तर पर्वत से घिरा हुआ है इसलिये वह आभ्यंतर पुष्करार्द्ध कहलाता है। दूसरी बात यह है कि वह नित्य है ।
प्रश्न- हे भगवन् ! आभ्यंतर पुष्करार्द्ध में कितने चन्द्र उद्योतित ( प्रभासित) होते थे, होते हैं और होंगे आदि प्रश्न तारागण तक कहना चाहिये ?
उत्तर - हे गौतम! आभ्यंतर पुष्करार्द्ध में ७२ चन्द्रमा और ७२ सूर्य प्रभासित होते हुए पुष्करवर द्वीपार्द्ध में विचरण करते हैं ॥ १ ॥
छह हजार तीन सौ छत्तीस (६३३६) महाग्रह और दो हजार सोलह (२०१६) नक्षत्र गति करते हैं चन्द्रमादि से योग करते हैं ॥ २ ॥
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