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तृतीय प्रतिपत्ति - कालोदधि समुद्र का वर्णन
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भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! कालोदधि समुद्र के कितने द्वार कहे गये हैं ?
उत्तर - हे गौतम! कालोद (कालोदधि) समुद्र के चार द्वार हैं। यथा - विजय, वैजयंत, जयंत और अपराजित।
प्रश्न - हे भगवन् ! कालोद समुद्र का विजयद्वार कहां कहा गया है ? '
उत्तर - हे गौतम! कालोद समुद्र के पूर्व दिशा के अंत में और पुष्करवर द्वीप के पूर्वार्द्ध के पश्चिम में शीतोदा महानदी के ऊपर कालोद (कालोदधि) समुद्र का विजयद्वार है। वह आठ योजन ऊंचा है आदि प्रमाण पूर्वानुसार यावत् राजधानी तक कह देना चाहिये।
प्रश्न - हे भगवन् ! कालोद समुद्र का वैजयंत द्वार कहां स्थित है ?
उत्तर- हे गौतम! कालोद समद्र के दक्षिण दिशा के अंत में. पष्करवर द्वीप के दक्षिणार्द्ध भाग के उत्तर में कालोदधि समुद्र का वैजयंत द्वार है।
प्रश्न - हे भगवन् ! कालोद समुद्र का जयंत द्वार कहां है ?
उत्तर - हे गौतम! कालोद समुद्र के पश्चिम दिशा के अन्त में पुष्करवर द्वीप के पश्चिमार्द्ध के पूर्व में शीता महानदी के ऊपर जयन्त द्वार है।
प्रश्न - हे भगवन् ! कालोद समुद्र का अपराजित द्वार कहां स्थित है ?
उत्तर - हे गौतम! कालोद समुद्र के उत्तर दिशा के अन्त में और पुष्कवर द्वीप के उत्तरार्द्ध के दक्षिण में कालोद समुद्र का अपराजित द्वार है। शेष सारा वर्णन जंबूद्वीप के अपराजित द्वार के समान समझ लेना चाहिये। विशेषता यह है कि राजधानी कालोदधि समुद्र में कहनी चाहिये। । कालोयस्स णं भंते! समुदस्स दारस्स य दारस्स य एस णं केवइयं केवइयं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते?
गोयमा! बावीस सयसहस्सा बाणउड़ खलु भवे सहस्साई। . छच्च सया बायाला दारंतर तिण्णि कोसा य॥१॥ दारस्स य दारस्स य अबाहाए अंतरे पण्णत्ते।
कालोयस्स णं भंते! समुहस्स पएसा पुक्खरवरदीव० तहेव, एवं पुक्खरवरदीवस्सवि जीवा उद्दाइत्ता उद्दाइत्ता तहेव भाणियव्वं॥
" भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! कालोदधि समुद्र के एक द्वार से दूसरे द्वार का अपान्तराल अन्तर कितना कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! कालोदधि समुद्र के एक द्वार से दूसरे द्वार का अंतर बावीस लाख बानवै हजार छह सौ छियालीस योजन और तीन कोस का है।
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