________________
जीवाजीवाभिगम सूत्र
प्रकार की (औसतन ) वृद्धि है। यदि पंचानु हजार योजन जाने पर १६ हजार योजन की ऊंचाई प्राप्त करते हैं तो १ योजन जाने पर क्या प्राप्त करेंगे ? उत्तर आया - १६ योजन (१ योजन का पंचानुया सोलह भाग) इसी प्रकार आत्मांगुल आदि के संबंध में भी समझ लेना चाहिए। इस प्रकार जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति की करण गाथाओं में बताया गया है।
१७८
लवण समुद्र का गोतीर्थ
लवणस्स णं भंते! समुद्दस्स केमहालए गोतित्थे पण्णत्ते ?
गोयमा! लवणस्स णं समुद्दस्स उभओ पासिं पंचाणउई पंचाणउई जोयणसहस्साई गोतित्थं पण्णत्तं ॥
लवणस्स णं भंते! समुद्दस्स केमहालए गोतित्थविरहिए खेत्ते पण्णत्ते ?
गोमा ! लवणस्स णं समुद्दस्स दस जोयणसहस्साइं गोतित्थविरहिए खेत्ते पण्णत्ते ॥ लवणस्स णं भंते! समुद्दस्स केमहालए उदगमाले पण्णत्ते ?
गोयमा ! दस जोयणसहस्साइं उदगमाले पण्णत्ते ॥ १७१ ॥
कठिन शब्दार्थ - गोतित्थे - गोतीर्थ - क्रमशः नीचा नीचा गहराई वाला भाग- पशुओं के पानी पीने के घाट के समान, उदगमाला - उदकमाला - जलराशि ( जितना गहराई रहित भाग है उस पर रही हुई जलराशि को उदकमाला कहते हैं) ।
भावार्थ प्रश्न हे भगवन् ! लवण समुद्र का गोतीर्थ भाग कितना बड़ा
-
है ?
-
उत्तर - हे गौतम! लवण समुद्र के दोनों किनारों पर ९५ हजार योजन का गोतीर्थ है।
प्रश्न - हे भगवन्! लवण समुद्र का कितना बड़ा भाग गोतीर्थ से विरहित कहा गया है ?
उत्तर - हे गौतम! लवण समुद्र का दस हजार योजन प्रमाण क्षेत्र गोतीर्थ से विरहित है यानी दस हजार योजन प्रमाण क्षेत्र समतल है ।
प्रश्न - हे भगवन् ! लवण समुद्र की उदकमाला कितनी बड़ी है ?
उत्तर - हे गौतम! लवण समुद्र की उदकमाला (समपानी पर सोलह हजार योजन ऊंचाई वाली जलमाला) दस हजार योजन की कही गई है।
Jain Education International
लवण समुद्र का संस्थान आदि
लवणं भंते! समुद्दे किंसंठिए पण्णत्ते ?
गोयमा ! गोतित्थसंठिए णावासंठाणसंठिए सिप्पिसंपुडसंठिए आसखंधसंठिए वलभिसंठिए वट्टे वलयागार - संठाणसंठिए पण्णत्ते ॥
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org