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तृतीय प्रतिपत्ति - लवण समुद्र की उद्वेध परिवृद्धि आदि
१७७ 00000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000. राशि से गुणा करने पर गुणनफल १५२० (१६४९५=१५२०) आते हैं इसमें प्रथम राशि ९५ का भाग देने पर भागफल १६ आता है अर्थात् ९५ योजन जाने पर १६ योजन की जलवृद्धि होती है। यही बात इन गाथाओं में भी कही गई है -
पंचाणउइसहस्से गंतूणं जोयणाणि उभओ वि। उस्सेहेणं लवणो सोलस साहिस्सओ भणिओ॥१॥ पंचणउई लवणे गंतूणं जोयणाणि उभओ वि। उस्सेहेणं लवणो सोलस किल जोयणे होइ॥२॥
- यदि ९५ योजन जाने पर १६ योजन की उत्सेध-वृद्धि है तो ९५ गाऊ (कोस) जाने पर १६ कोस की, ९५ धनुष जाने पर १६ धनुष की उत्सेध-वृद्धि होती है, यह सहज ही ज्ञात हो जाता है। यह बात लवण समुद्र की ऊंचाई वृद्धि को लेकर कही गई है।
__व्याख्या प्रज्ञप्ति (भगवती) सूत्र में लवण समुद्र की उदक शिखा-सोलह हजार योजन की ऊंचाई वाली बताई है। उसी शिखा को द्वीप सागर प्रज्ञप्ति में ७०० योजन ऊंचाई की बताई है॥ १॥ सात सौ योजन की ऊंचाई मानने पर गौतम द्वीप आदि जल से जितने ऊंचे हैं-वह त्रैराशिक गणित से स्पष्ट आ जाता है ॥ २॥ सोलह हजार योजन ऊंचाई मानने पर गौतम द्वीप आदि डूब जाते हैं। तथापि यह कथन सत्य न हो, ऐसी बात नहीं है। क्योंकि सोलह हजार योजन की ऊंचाई मान कर जीवाभिगम में वृद्धि बताई गई है ॥३॥
प्रश्न - उपर्युक्त दोनों कथन कैसे सत्य (संगत) होंगे?
उत्तर - सात सौ योजन के ऊपर दस हजार की चौड़ी सोलह हजार योजन पर्यन्त समान रूप से शिखा चली गई है॥ ४॥ जीवाभिगम सूत्र में जो वृद्धि बताई गई है वह क्षेत्र गणित (लवण समुद्र की सीमा क्षेत्र) की अपेक्षा बताई गई है। वह कर्ण गति से लवण समुद्र का आभाव्य क्षेत्र समझना चाहिये॥५॥ ___ यदि ९५ हजार योजन जाने पर ७०० योजन की ऊंचाई प्राप्त करते हैं तो बारह हजार योजन जाने पर गौतम द्वीप के पास में कितनी ऊंचाई होगी? उत्तर आया ८८९९ योजन (अठ्यासी योजन तथा १ योजन के पंचानुया चालीस भाग) यह जंबूद्वीप की तरफ द्वीप का जल में डूबा हुआ भाग है। ऊपर भी जल से बाहर इतना ही भाग है और आधा योजन खुला भाग है। २४ हजार योजन जाने पर १७६ ८६ योजन (एक सौ छिहत्तर योजन और १ योजन के पंचानुया अस्सी भाग) प्राप्त हुए। लवण समुद्र की तरफ इतना भाग द्वीप का जल में डूबा हुआ है। मात्र दो कोस जल से ऊंचा है। जीवाजीवाभिगम सूत्र में जो पंचानवे-पंचानवे अंगुल जाने पर सोलह-सोलह अंगुल की उत्सेध वृद्धि बताई है-वह तो एक
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