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तृतीय प्रतिपत्ति - जम्बू - सुदर्शना के बारह नाम
पूर्व के प्रासादावतंसक के पश्चिम में एक महान् कूट कहा गया है। उसका वही प्रमाण है यावत् वहां सिद्धायतन है ।
वह जंबू - सुदर्शना अन्य बहुत से तिलक, लकुट वृक्षों यावत् राय वृक्षों घिरी हुई है। जंबू सुदर्शना के ऊपर बहुत से आठ आठ मंगल कहे गये हैं। श्रीवत्स यावत् दर्पण, कृष्ण ध्वज यावत् छत्रातिछत्र तक सारा वर्णन पूर्वानुसार जम्बू- सुदर्शना के बारह नाम
जंबू णं सुदंसणा दुवालस णामधेज्जा पण्णत्ता, तंजहासुदंसणा अमोहा य, सुप्पबुद्धा जसोधरा ।
विदेह जंबू सोमणसा, णियया णिच्चमंडिया ॥ १ ॥ सुभद्दाय विसाला य, सुजाया सुमणीतिया ।
सुदंसणाए जंबूए, णामधेज्जा दुवालस ॥ २ ॥
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भावार्थ - जंबू-सुदर्शना के बारह नाम कहे गये हैं । वे इस प्रकार हैं १. सुदर्शना २. अमोहा ३. सुप्रबुद्धा ४. यशोधरा ५. विदेह जंबू ६. सौमनस्या ७. नियता ८. नित्यमंडिता ९. सुभद्रा १०. विशाला ११. सुजाता १२. सुमना । जंबू सुदर्शना के ये बारह नाम कहे गये हैं ।
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हिंगु वृक्षों से चारों ओर से
इस प्रकार हैं- स्वस्तिक, समझ लेना चाहिये ।
विवेचन प्रस्तुत सूत्र में जंबू- सुदर्शना के जो बारह सार्थक नाम बताये हैं उनके अभिप्राय इस प्रकार हैं -
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१. सुदर्शना - अति सुंदर और नयन मनोहारी होने से यह सुदर्शना कहलाती है ।
२. अमोघा - अपने नाम को सफल करने वाली होने से यह अमोघा कहलाती है। इसके होने से जंबूद्वीप का आधिपत्य सफल और सार्थक होता है।
३. सुप्रबुद्धा - मणि, कनक और रत्नों से सदा जगमगाती रहते हैं अतः सुप्रबुद्धा कहलाती है । ४. यशोधरा - इसके कारण जंबूद्वीप का यश त्रिभुवन में व्याप्त है इसलिये यशोधरा कहा है । ५. विदेह जम्बू - विदेह में जंबूद्वीप के उत्तरकुरुक्षेत्र में होने के कारण इसे विदेह जम्बू कहा है ! ६. सौमनस्या मन की प्रसन्नता का कारण होने से सौमनस्या है।
७. नियता - सर्वकाल अवस्थित होने से नियता है ।
८. नित्य मंडिता - भूषणों से सदा भूषित होने से नित्यमंडिता है ।
९. सुभद्रा - इसका अधिष्ठाता महर्द्धिक देव होने के कारण यह कदापि उपद्रवग्रस्त नहीं होती, सदाकाल कल्याण भागिनी है अतः सुभद्रा है ।
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