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________________ विषयानुक्रमणिका जीवाजीवाभिगम सूत्र भाग २ १३१ क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या चतुर्विधाख्या तृतीय प्रतिपत्ति १६. जंबूद्वीप, जंबूद्वीप क्यों कहलाता है १२० |१७. कंचन पर्वत का वर्णन १२९ - मंदर उद्देशक १८. जम्बूवृक्ष का वर्णन १. देवों का वर्णन १/१९. जम्बू सुदर्शना के बारह नाम १३९ २. वाणव्यंतर देवों का वर्णन १४/२०. जम्बू द्वीप में चन्द्र आदि की संख्या । १४१ । ३. . ज्योतिषी देवों का वर्णन २१. लवण समुद्र का वर्णन १४२ ४. द्वीप समुद्रों का कथन । लवण समुद्र का चक्रवाल विष्कम्भ ५. जंबूद्वीप का वर्णन । और परिधि १४३ ६. पद्मवरवेदिका का वर्णन २२२३. लवण समुद्र के द्वार १४३ वनखण्ड का वर्णन २६/२४. द्वारों का अंतर १४४ ८. जंबूद्वीप के द्वारों का वर्णन ४४ | २५. लवण समुद्र, लवण समुद्र क्यों ९. विजय द्वार, विजय द्वार क्यों कहलाता है कहलाता है ? . १४५ १०. विजया राजधानी का वर्णन ६३ २६. लवण समुद्र में चन्द्र आदि ११. सुधर्मा सभा का वर्णन ७१ /२७. लवण समुद्र में जल हानि वृद्धि १२. सिद्धायतन का वर्णन का कारण १३. उपपात सभा का वर्णन | २८. लवण शिखा वर्णन १४. विजयदेव का उपपात और २९. वेलंधर नागराज का वर्णन १५३ उसका अभिषेक ८८/३०. अनुवेलंधर नागराज देवों का वर्णन १५८ १५. वैजयंत आदि द्वारों का वर्णन ११७/३१. गौतम द्वीप का वर्णन १६० १४६ १४७ . १५१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004195
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2003
Total Pages422
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size9 MB
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