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१९. युद्ध स्थान के निकट
जब तक युद्ध चले २०. उपाश्रय में पंचेन्द्रिय का शव पड़ा हो, जब तक पड़ा रहे २१-२५. आषाढ़, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक और चैत्र की पूर्णिमा
दिन रात २६-३०. इन पूर्णिमाओं के बाद की प्रतिपदा- दिन रात ३१-३४. प्रात: मध्याह्न, संध्या और अर्द्ध रात्रिइन चार सन्धिकालों में
१-१ मुहूर्त उपरोक्त अस्वाध्याय को टालकर स्वाध्याय करना चाहिए । खुले मुँह नहीं बोलना तथा दीपक के उजाले में नहीं वांचना चाहिए ।
नोट - नक्षत्र २८ होते हैं उनमें से आर्द्रा नक्षत्र से स्वाति नक्षत्र तक नौ नक्षत्र वर्षा के गिने गये हैं। इनसे होने वाली मेघ की गर्जना और बिजलो का चमकना स्वाभाविक है। अत: इसका अस्वाध्याय नहीं गिना गया है।
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